मजबूत न्यायिक प्रणाली की जरूरत : न्यायमूर्ति टी. एस. ठाकुर

नई दिल्ली, 24 अप्रैल | प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी. एस. ठाकुर ने रविवार को कहा कि पर्याप्त संख्या में न्यायाधीशों की निगरानी वाली एक मजबूत न्यायपालिका के अभाव में देश आर्थिक विकास के लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकता। न्यायमूर्ति ठाकुर ने यह बात यहां मुख्यमंत्रियों, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों व सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्तियों के संयुक्त सम्मेलन के उद्घाटन के मौके पर कही। उन्होंने कहा कि विदेशी निवेश को आकर्षित करने और मेक इन इंडिया अभियान को सफल बनाने के लिए एक मजबूत न्यायिक प्रणाली की जरूरत है।

उन्होंने कहा, “हम जिन्हें आमंत्रित (निवेश के लिए) कर रहे हैं, उन्हें भी न्यायिक प्रणाली व न्याय मिलने को लेकर चिंता रहती है।”

फाइल फोटो :प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी. एस. ठाकुर

ठाकुर ने कहा, “न्यायिक प्रणाली की प्रभावोत्पदकता देश के विकास से आवश्यक रूप से जुड़ी हुई है।”

उन्होंने कहा कि ‘कानूनी मामलों के अंबार’ से जूझ रही देश की न्यायपालिका, न्यायाधीश-जनसंख्या के खस्ता अनुपात व खाली पड़े पदों की चिरस्थायी समस्या से दो-चार हो रही है।

देश में नागरिकों की संख्या के अनुपात में न्यायाधीशों की संख्या अन्य विकसित देशों की तुलना में निराशाजनक है।

न्यायमूर्ति ठाकुर ने अमेरिका की मजबूत न्यायिक प्रणाली की ओर इशारा करते हुए कहा कि अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय के नौ न्यायाधीश मिलकर एक साल में 81 मामलों को निपटाते हैं, जबकि भारत में सर्वोच्च न्यायालय का एक न्यायाधीश प्रतिवर्ष 2,600 मामलों में फैसला सुनाता है। उन्होंने कहा, “आलोचना करना काफी नहीं है। आप सारा बोझ न्यायाधीशों पर नहीं डाल सकते। न्यायाधीशों के काम करने की भी एक सीमा होती है”

उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम द्वारा संस्तुति किए जाने के बावजूद नियुक्तियां लंबित पड़ी हुई हैं। सरकार कार्रवाई करने का अपना समय ले रही है।

उन्होंने कहा, “औैर अधिक अदालतों का निर्माण और प्रत्येक दस लाख की आबादी पर न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाकर 50 करना ही एकमात्र इलाज है।”

संयुक्त सम्मेलन के उद्घाटन के मौके पर मौजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “मैं प्रधान न्यायाधीश द्वारा उठाई गई गंभीर समस्याओं को दूर करने की कोशिश करूंगा।”

प्रधानमंत्री ने प्रधान न्यायाधीश की तरफ से उठाए गए मुद्दों पर विचार के लिए सरकारी अधिकारियों और न्यायपालिका के लोगों की समिति बनाने का प्रस्ताव भी रखा।