बॉम्बे हाईकोर्ट ने मालेगांव विस्फोट मामले में साध्वी प्रज्ञा को दी जमानत

मुंबई, 25 अप्रैल। बम्बई उच्च न्यायालय ने 2008 में मालेगांव में हुए बम विस्फोट मामले की मुख्य आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को उनकी गिरफ्तारी के करीब नौ साल बाद मंगलवार को जमानत दे दी। राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा मई 2016 में साध्वी को ‘क्लीन चिट’ दिए जाने के बाद अदालत ने उन्हें पांच लाख रुपये के मुचलके पर जमानत की मंजूरी दे दी।

हालांकि, अदालत ने इसी मामले में सह आरोपी पूर्व सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित की अपील खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने निचली अदालत द्वारा उनकी जमानत याचिका को नामंजूर करने के फैसले को चुनौती दी थी।

इसके पहले जांच एजेंसी एनआईए साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को अपनी जांच में क्लीन चिट दे चुकी है बावजूद इसके ट्रायल कोर्ट साध्वी की जमानत खारिज कर चुकी है। एनआईए का दावा है कि साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ मुकदमा चलाने लायक सबूत नहीं है। इसकी वजह है मामले पर मकोका कानून का न बनना, जबकि ट्रायल कोर्ट ने अभी तक मकोका हटाने पर कोई फैसला नही दिया है।

सितंबर 2008 में नासिक जिले के मुस्लिम बहुल शहर मालेगांव में हुए विस्फोट में छह लोगों की मौत हुई थी।

29 सितंबर 2008 को मालेगांव में हुए धमाके में 6 लोगों की मौत हुई थी और 101 लोग घायल हुए थे. महाराष्ट्र एटीएस ने अपनी जांच में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर सहित 11 लोगो को गिरफ्तार किया था. बाद में जांच एनआईए को दे दी गई।

एनआईए ने अपनी जांच के बाद 13 मई 2016 को दूसरी सप्लिमेंट्री चार्जशीट में मामले में मकोका लगाने का आधार नहीं होने की बात कह साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर सहित 6 लोगों के खिलाफ मुकदमा चलने लायक सबूत नहीं होने दावा किया था। जबकि कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित 10 लोगों के खिलाफ धमाके की साजिश, हत्या, हत्या की कोशिश, आर्म्स एक्ट, एक्सप्लोसिव एक्ट और यू ए पी ए के तहत मुक़दमा चलाने लायक सबूत होने का दावा किया था। यह अलग बात है कि ट्रायल कोर्ट एनआईए की राय से सहमत नहीं दिखी, जिसके बाद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और कर्नल पुरोहित ने बॉम्बे हाई कोर्ट में जमानत अर्जी दी थी।

हाई कोर्ट में भी जांच एजेंसी एनआईए ने साध्वी की अर्जी पर कोई आपत्ति नहीं दिखाई, लेकिन कर्नल पुरोहित की अर्जी का विरोध किया है। अदालत में सुनवाई के दौरान साजिश की मीटिंग की वह सीडी भी टूटी पाई गई, जिसमें साध्वी के होने का दावा किया गया था. सुनवाई पिछले महीने ही पूरी हो गई थी।

(फाइल फोटो)