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खेती छोड़ दूसरे रोजगार की तलाश में रहते हैं 30 करोड़ लोग

भारत में लगभग एक तिहाई आबादी यानी 30 करोड़ लोग खेती-किसानी छोड़कर दूसरे रोजगार की तलाश में प्रवास करते रहते हैं।  यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र संघ  के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ ) के आंकलन में दी गई है।

संयुक्त राष्ट्र संघ  के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ ) का आंकलन है कि भूख, गरीबी और जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले मौसमी बदलाव की वजह से लगभग 763 मिलियन लोग अपने ही देश में किसानी छोड़कर बेहतर आजीविका अवसरों की तलाश में प्रवास कर जाते है। भारत की लगभग एक तिहाई आबादी यानी 300 मिलियन से अधिक लोग प्रवासी हैं।

File photo :Drought affected farmers from Tamil Nadu participate in a sit-in demonstration at Jantar Mantar in New Delhi on July 22, 2017. (Photo: IANS)

भारत की जनगणना रिपोर्ट बताती है कि लगभग 84 प्रतिशत लोग अपने राज्य के भीतर ही प्रवास करते हैं और लगभग 2 प्रतिशत लोग एक राज्य से दूसरे राज्य में चले जाते हैं। पूर्वी और उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों से बड़ी तादाद में लोग काम और बेहतर रोजगार की तलाश में भारत के विभिन्न हिस्सों में चले गए हैं। इनमें से ज्यादातर लोग अल्पकालीन प्रवासी हैं, जो थोड़े समय के लिए मजदूरी करते हैं और इसके बाद अपने मूल राज्य में वापस जाकर अपनी छोटी जोतों पर काम करते हैं।

राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन के अनुसार जब किसानों से बातचीत की गई तब 45 प्रतिशत किसानों ने कहा कि वे खेती छोड़ना चाहते हैं।

इसके कई कारण हैं। इनमें खासतौर से उत्पादकता में गिरावट और युवा पीढ़ी के लिए खेती में कोई आकर्षण न होने की वजह से लोग प्रवास करने पर मजबूर हो जाते हैं।

एफएओ ने आह्वान किया है कि ऐसी परिस्थितियां पैदा की जाएं ताकि ग्रामीण युवा अपने घरों को न छोड़ें। इसके लिए उन्हें लचीली आजीविका प्रदान करनी होगी ताकि प्रवास की चुनौतियों से निपटा जा सके। कृषि से इतर कारोबारी अवसर भी पैदा करने होंगे।

इस संबंध में खाद्य प्रसंस्करण और बागवानी उपक्रमों के जरिए खाद्य सुरक्षा बढ़ाई जा सकती है। इस समय यह बहुत आवश्यक है कि ग्रामीण समुदाय को लंबी राहत देने के लिए सतत विकास की योजना तैयार की जाए। ( पीआईबी द्वारा जारी ‘पांडुरंग हेगड़े’ के लेख ‘किसानों को खेती में प्रवृत्त रखने की चुनौती’ से)