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बिना पानी के उगने वाले कैक्टस चारे की खेती

सूखा प्रभावित टीकमगढ़ जिले के महुआबाग और महाराजपुरा में महिला समूहों ने बिना पानी के होने वाले कैक्टस की खेती शुरू की है। कैक्टस के रूप में पशुओं को भरपूर चारा मिलने से दुग्ध उत्पादन में वृद्धि हो रही। कैक्टस की यह प्रजाति विदेश से मंगवाई गई है। महिला समूह कैक्टस का अपने पशुओं के लिये उत्पादन करने के साथ बिक्री कर अतिरिक्त आमदनी भी प्राप्त कर रही हैं।

इकार्डा और तेजस्वनी के सहयोग से काम कर रहे हैं महिला समूह: टीकमगढ़ में सूखे के प्रभाव को कम करने के लिये एक अन्तर्राष्ट्रीय संस्था इन्टरनेशनल सेन्टर फॉर एग्रीकल्चर रिसर्च इन ड्राइ ऐरिया (इकार्डा) और तेजस्विनी ग्रामीण महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम के समन्वय से कार्य किया जा रहा है।

तेजस्विनी कार्यक्रम के नेटवर्क से इकार्डा टीम काफी प्रभावित है और भविष्य में लम्बे समय तक काम करने की इच्छा जाहिर की है। इकार्डा ने जिले में बिना पानी के होने वाले विशेष कैक्टस की खेती शुरू कराई है। इसके खाने से पशुओं के दुग्ध उत्पादन में वृद्धि होती है। प्रयोगिक तौर पर यह पृथ्वीपुर के महुआबाग और टीकमगढ़ के महाराजपुरा में शुरू किया गया है। इकार्डा के निर्देशक ने बताया कि टीकमगढ़ जिले में तिवड़े की उन्नत किस्म का बीज भी उपलब्ध करवाया जायेगा।

दलहन को प्रोत्साहित करेगा इकार्डाइकार्डा ने टीकमगढ़ जिले में दलहन की खेती को प्रोत्साहित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। संस्था ने 600 किसानों को 110 क्विंटल प्रमाणित मसूर बीज वितरित किया है। लगभग साढ़े 7 लाख रुपये मूल्य का यह बीज तेजस्विनी कार्यक्रम से जुड़े 500 से अधिक किसानों को नि:शुल्क उपलब्ध करवाया गया है। इकार्डा के वैज्ञानिक किसानों को बीज उपचारित करने का व्यवहारिक तरीका और उन्नत तकनीकी की भी जानकारी दे रहे हैं। इकार्डा के वरिष्ठ अधिकारी लगातार जिले में भ्रमण कर मार्गदर्शन और कार्यक्रम की निगरानी कर रहे हैं।