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राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण पर सचिवों ने चर्चा की

पर्यावरण मंत्रालय में 9 नवंबर को हुई बैठक में दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण से उत्पन्न स्थिति की चर्चा और समीक्षा करने के लिए कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया गया।

(जनसमाचार की टिप्पणी : एक ओर स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय में एनसीआर में मेडिकल इमरजेंसी है और दिल्ली की हवा सांस लेने काबिल नहीं है। ऐसे समय में देश के नौकरशाह चर्चा कर रहे हैं किन्तु तुरंत किसी समाधान पर कदम उठाने और लोगों को राहत देने की बात नहीं कर रहे हैं। इससे अधिक दु:खद कुछ नहीं होसकता कि जिन क्षेत्रों में तुरंत कदम उठाकर राहत होसकती है उस पर भी विचार हो रहा है। )

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में वायु प्रदूषण के अल्पावधि और दीर्घकालिक समाधानों की लगातार निगरानी के लिए सात सदस्यीय समिति गठित की गई है। योजना तैयार करने और उनका कार्यान्‍वयन सुनिश्चित करने के लिए नियमित रूप समिति की बैठक आयोजित की जायेगी। समिति के अन्य सदस्यों में शामिल हैं:

सचिव, विज्ञान और प्रौद्योगिकी;

सचिव, जैव प्रौद्योगिकी विभाग;

अपर सचिव, नीति आयोग;

मुख्य सचिव, दिल्ली;

अध्यक्ष, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और

विधी सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी के प्रतिनिधि।

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव सी.के. मिश्रा ने वायु की गुणवत्ता की वर्तमान स्थिति का आंकलन करने और भविष्य की रणनीति तैयार करने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण (ईपीसीए) के साथ बैठक की। इसमें ईपीसीए के अध्यक्ष श्री भूरे लाल, ईपीसीए की सदस्य सुश्री सुनीता नारायण और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधिकारी भी उपस्थित थे।

बैठक में निर्णय लिया गया कि संबंधित राज्य सरकारों से सड़क और निर्माण स्थल की धूल मिट्टी पर नियंत्रण, कूड़ा जलाने पर रोक, बिजली संयंत्र और औद्योगिक प्रदूषण पर नियंत्रण, वाहनों के प्रवेश पर नियंत्रण और अन्य संबंधित कारकों सहित ग्रेडेड रिस्पोंस एक्शन प्लान (जीआरएपी) को पूरी तरह से लागू करने का अनुरोध किया जाएगा।

यह भी निर्णय लिया गया कि अन्य निर्देशों के अतिरिक्त ईंट भट्टों, हॉट मिक्स प्लांट, स्टोन क्रशर को बंद करना, सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना, पानी का छिड़काव और सड़कों की उपकरणों से सफाई, निर्माण कार्य, कोक की बोतलों और भट्टी के तेल के इस्तेमाल पर प्रतिबंध को पूरी तरह से लागू किया तथा संबंधित एजेंसियों को इसका उत्तरदायित्व सौंपा जाएगा। सीपीसीबी से लगातार स्थिति की निगरानी करने को कहा गया है।

चूंकि मौसम के कारण वर्तमान स्थिति बनी है इसलिए मौसम को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर भी बैठक में चर्चा की गई। यह भी निर्णय लिया गया कि यह सुनिश्चित किया जाए कि पर्यावरण, वन और जलवायु परितर्वन मंत्रालय/सीपीसीबी/ईपीसीए द्वारा जारी किए गए निर्देशों का सभी संबंधित एजेंसियां पालन करें तथा स्थिति का आंकलन करने के लिए प्रभावित स्थानों का नियमित दौरा किया जाए।