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अमरीका ने पाॅल्ट्री उत्पाद बाजार से वापस मंगाए, भारत में धड़ल्ले से हो रही बिक्री

वाशिंगटन/नई दिल्ली, 12 मई (जनसमा)। गुरूवार को अमरीका में पाॅल्ट्री उत्पादों को बाजार से वापस मंगा लिया गया जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माने गए हैं। वहीं, भारत में जहां पाॅल्ट्री उत्पादन सबसे ज्यादा होता है वहां पाॅल्ट्री उत्पादों से स्वास्थ्य पर होने वाले हानिकारक प्रभावों के बारे में जनता में जागरूकता की काफी कमी है। सरकार भी इस दिशा में उपभोक्ताओं को प्रशिक्षित करने का कोई काम नहीं करती है।

भारत में प्रतिवर्ष पाॅल्ट्री उत्पादन में कृषि क्षेत्र से ज्यादा वृद्धि हो रही है। खेती में जहां 1.15 से 2 प्रतिशत तक की सालाना वृद्धि दर्ज की गई है वहीं अण्डा तथा संबंधित उत्पादनों में यह वृद्धि दर 8 से 10 प्रतिशत है।

हर साल देश में 6 लाख 59 हजार 304.15 मीट्रिक टन पाॅल्ट्री उत्पाद विदेशों को निर्यात किए जाते हैं। 2015-16 में पाॅल्ट्री उत्पादन से भारत को लगभग 800 करोड़ रुपए की आमदनी हुई थी। भारत से पाॅल्ट्री उत्पाद मंगवाने वाले देश हैं, ओमान, सऊदी अरब, जर्मनी, जापान और मालद्वीप।

देश में सबसे ज्यादा पाॅल्ट्री उत्पादन तमिलनाडु में होता है जबकि आंध्र प्रदेश में हैदराबाद देश में सबसे अधिक पाॅल्ट्री उत्पादन वाला शहर है। आंध्र के विशाखापट्टनम, चित्तूर, कनार्टक, तमिलानाडु, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उड़ीसा तथा उत्तर पूर्व के राज्य अण्डा उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।

महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत के बाजारों में बिकने वाले पाॅल्ट्री उत्पादों की देखरेख और जांच के लिए वैसे सख्त कानून नहीं हैं जैसे अमरीका में हैं।

वाशिंगटन से प्राप्त समाचार के अनुसार, गुरूवार को अमरीका में 1495 पाउंड पाॅल्ट्री उत्पादों की खेप जो बाजार में बिकने चली गई थी उसे कृषि और खाद्य सुरक्षा मंत्रालय ने बाजार से वापस मंगवा लिया और कहा कि यह उत्पादन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक और मिलावटी हैं।

मरीकी सरकार द्वारा जारी एक प्रेस रिलीज में यह भी बात सामने आई है कि सरकार ने जिन उत्पादों को बाजार से पुनः मंगाने के आदेश दिए हैं उनकी तीन श्रेणियां बनाई गई हैं: पहली श्रेणी में वह उत्पाद आते हैं जिन्हें स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक खतरनाक बताया गया है और उसके खाने से मृत्यु तक भी हो सकती है। दूसरी श्रेणी में उन उत्पादांें को रखा गया है जिनके उपयोग से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ने और दूरगामी दुष्परिणाम होने की संभावना है। तीसरे श्रेणी के वह उत्पाद हैं जिन्हें यह माना गया है कि उनका उपयोग स्वास्थ्य पर प्रतितकूल प्रभाव तो नहीं डाल रहा किंतु वह उत्पाइन संदेह के घेरे में हैं।

जिन उत्त्पादों कोे बाजार से मंगाया गया है वह अमरीका की बड़ी कंपनियों के उत्पाद हैं जिनमें न्यूयाॅर्क लाइव स्टाॅक मार्केट इन काॅरपोरेशन, ब्रुकलीन आदि हैं। इन कंपनियों ने अपने पाॅल्ट्री उत्पादन न्यूयाॅर्क राज्य के रेस्त्राओं और बाजारों में खुदरा बिकने के लिए भेज दिए थे। सरकार ने प्रेस रिलीज में यह भी सलाह दी है कि जिन लोगों ने यह उत्पाद खरीद लिए हैं या तो वह उन्हें फैंक दें या जहां से उन्होंने खरीदा है उन्हें वापस कर दें। सरकार ने ग्राहकों को सूचना देने के लिए मीडिया का भी सहारा लिया है।

इधर भारत में पिछले कुछ समय पूर्व कुछ उपभोक्ता संगठनों और गैर सरकारी संगठनों ने यह मुददा उठाया था कि पाॅल्ट्री पक्षियों को मांस, हड्डियां और ऐसी चीजें खिलाई जा रही हैं जो कि मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।

खुले बाजार में बिकने वाले पाॅल्ट्री उत्पादकों के ‘क्वालिटी चेक’ के बारे में कौन से मानदंड अपनाए जाते हैं, इस बारे में भारत में जनता को कोई जानकारी नहीं है। फरवरी 2015 में इंदौर के खाद्य सुरक्षा अधिकारी मनीष स्वामी ने इस संबंध में कहा था कि लाइसेंसिंग अधिकारियों को खाद्य सुरक्षा के नियमों की अवहेलना करने वालों के विरुद्ध कार्रवाही करने का अधिकार है और यदि शिकायत सही पाई जाती है तो उन्हें इस दिशा में कदम उठाने में नहीं हिचकना चाहिए।