‘न्यूनतम आयात मूल्य जारी रहना चाहिए’

कोलकाता, 18 जून | सरकार द्वारा सस्ते इस्पात के आयात पर रोक लगाने के लिए लगाए गए न्यूनतम आयात मूल्य को जारी रखना चाहिए। यह बात टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक टी. वी. नरेंद्रन ने शनिवार को यहां कही। उन्होंने कहा, “उद्योग के नजरिए से न्यूनतम समर्थन मूल्य काफी उपयोगी है। सरकार इसका मूल्यांकन कर रही है। इसे लेकर अलग-अलग उद्योगों की अलग-अलग राय हो सकती है। इस्पात उद्योग का मानना है कि हमने जो निवेश किया है, उसे देखते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य उपयोगी है।”

उन्होंने आगे कहा, “सरकार को इसे (न्यूनतम आयात मूल्य) जारी रखना चाहिए।”

फरवरी में सरकार ने 173 स्टील उत्पादों पर अगले छह महीनों के लिए न्यूनतम आयात मूल्य की शर्त लागू की थी। मार्च में सेफगार्ड ड्यूटी को एचआरसी (हॉट रोल्ड कॉयल) के आयात पर लागू कर दिया गया। इसे सितंबर 2015 में लागू किया गया था, जो मार्च 2018 तक जारी रहेगा।

नरेंद्रन ने कहा, “अगर न्यूनतम आयात मूल्य समाप्त कर दिया जाता है तो सेफगार्ड ड्यूटी बरकरार रहेगा, जिससे हमें कुछ मदद मिलेगी।” नरेंद्रन उद्योग संगठन सीआईआई के पूर्वी क्षेत्र के अध्यक्ष भी हैं।

हालांकि उद्योग जगत के सूत्रों का कहना है कि अगर न्यूनतम आयात मूल्य को जारी रखा जाता है तो भारत को विश्व व्यापार संगठन में व्यापार विरोधी आरोपों के आधार पर खींचा जा सकता है।

लेकिन नरेंद्रन का कहना है, “भारत जो कर रहा है, वह दूसरे देशों से बिल्कुल अलग नहीं है। अमेरिका ने भी वहां इस्पात के आयात पर 500 फीसदी शुल्क लगा रखा है। दुनिया के कुछ बाजारों में क्षमता से ज्यादा इस्पात है और बाजार की अर्थव्यवस्था के कारकों के आधार पर बेचा नहीं जा रहा है।”

उन्होंने कहा कि इसलिए हर सरकार इसके खिलाफ कदम उठा रही है।

उनके मुताबिक, इस्पात के अंतर्राष्ट्रीय मूल्यों में काफी उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है। फरवरी से अप्रैल तक इसकी कीमतें बढ़ रही थीं, लेकिन फिर अगले एक-दो महीने तक कीमतें गिर गईं। अब एक बार फिर कीमतें बढ़ रही हैं।

उन्होंने कहा, “इस्पात उद्योग में उतार-चढ़ाव बना रहेगा। जब तक दुनिया चीन की अतिरिक्त क्षमता से निपटना सीखती रहेगी और चीन अपनी अतिरिक्त क्षमता का ख्याल रखता है, तबतक हमें इस उतार-चढ़ाव का सामना करते रहना होगा।”

टाटा स्टील के कलिंगनगर संयंत्र के बारे में नरेंद्रन ने कहा, “यहां तीन एमटीपीए संयंत्र से शुरुआत होगी। हम इस क्षमता पर काम कर रहे हैं। स्टील उद्योग में, हमेशा अतिरिक्त क्षमता रखनी होती है। हमारा काम दुनिया के स्टील उत्पादकों में प्रतिस्पर्धी होना और सबसे कम लागत वाला उत्पादक होना है, जो हम हैं। हम अपने कलिंगनगर परियोजना को धीमा नहीं कर रहे हैं।”

–आईएएनएस