Namvar Singh

हिंदी के प्रख्यात साहित्यकार और आलोचक प्रो.नामवर सिंह नहीं रहे

हिंदी के प्रख्यात साहित्यकार और आलोचक प्रो.नामवर सिंह नहीं रहे।  प्रो. नामवर सिंह (Namvar Singh) का मंगलवार रात दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान AIIMS में देहांत हो गया। वे 92 वर्ष के थे।

जानकारी के अनुसार जनवरी में वह अपने घर में गिर गए थे। इसके बाद उन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान AIIMS में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था। उन्होंने मंगलवार रात 11ः51 बजे आखिरी सांस ली।

उनका अंतिम संस्‍कार बुधवार को दिल्‍ली में किया जाएगा।

साहित्यजगत की नामचीन हस्ती नामवर सिंह Namvar Singh का जन्म 1 मई 1927 को वाराणसी जिले के गांव जीवनपुर में हुआ था।

अनेक पुस्तकों के लेखक और आलोचक डाॅ नामवर सिंह Namvar Singh हिन्दी साहित्य के सिद्धहस्त आलोचक माने जाते थे।

फोटो नामवर सिंह के फेस बुक पेज से साभार

उनके देहांत से हिन्दी आलोचना के एक युग का भी अवसान हांगया।

 उन्होंने हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर और पीएचडी करने के बाद  काशी हिंदू विश्वविद्यालय में अध्यापन आरंभ किया।

हिन्दी के शीर्षस्थ शोधकार.समालोचक और निबंधकार के रूप में उनकी ख्याति बढ़ती गई और वे प्रगतिशील आलोचना के सशक्त हस्ताक्षर के रूप में स्थापित हो गए।

उनकी प्रमुख कृतियों में आलोचना और संवाद, छायावाद, पूर्व रंग तथा वाद.विवाद और संवाद शामिल हैं।

कविता के नए प्रतिमान के लिए उन्हें 1971 के साहित्य अकादमी पुरस्कारसे सम्मानित किया गया था।

इसके अतिरिक्त उन्हें शलाका सम्मान, साहित्य भूषण सम्मान, शब्द साधक शिखर सम्मान और महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान से भी अलंकृत किया गया था।

डॉ. नामवर सिंह को राष्ट्रकवि कुवेम्पु प्रतिष्ठान, कुप्पली (कर्नाटक) के प्रतिष्ठित ‘कुवेम्पु नेशनल अवार्ड’ से भी सम्मानित किया गया था।