Rojada or blue bull or Neelgai

राजस्थान में 77 हजार से अधिक वन्य पशु रोजड़े या नील गाय

राजस्थान में वन विभाग के सर्वे के अनुसार रोजड़ों (नील गाय ,Nilgai or Blue bull )की 2017 में लगभग 77 हजार थी जबकि 2015 में 70 हजार और 2016 में 73 हजार थी।

यह जानकारी राजस्थान के वन राज्य मंत्री सुखराम विश्नोई ने बुधवार को विधानसभा में दी और कहा कि रोजड़े आदि वन्य पशुओं की वजह से यदि जनहानि होती है तो प्रभावितों को मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि वन्य जीवों द्वारा किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाये जाने पर किसी भी योजनांतर्गत नुकसान की भरपाई का प्रावधान नहीं है।

वन राज्य मंत्री सदन में प्रश्नकाल के दौरान इस संबंध में विधायकों की ओर से पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे।

उन्होंने कहा कि रोजड़ों को मारने के लिए जिला कलक्टर, तहसीलदार, नायब तहसीलदार एवं सरपंच को अनुमति देने का अधिकार है, लेकिन यह व्यावहारिक नहीं है।

इससे पहले विधायक रामनारायण मीना के मूल प्रश्न का जवाब देते हुए विश्नोई ने कहा कि वर्तमान में रोजड़े आदि वन्य पशुओं से किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाये जाने पर किसी भी योजनांतर्गत नुकसान की भरपाई का कोई प्रावधान नहीं है तथापि वन्य जीवों से जनहानि होने पर राज्य सरकार के 16 नवम्बर 2017 के आदेश के मुताबिक मुआवजा दिये जाने का प्रावधान है।

उन्होंने आदेश की प्रति सदन के पटल पर रखी।

वन राज्य मंत्री ने कहा कि इस समस्या से निजात दिलाने के लिए इन वन्य जीवों को पकड़कर जंगलों में छोड़ने के उपायों पर तकनीकी रूप से विचार व प्रयास करने के बाद यह पाया कि यह उपाय वन्य जीव प्रबंधन, प्रचलित विधानों एवं तकनीकी व व्यावहारिक समस्याओं के कारण व्यवहार्य नहीं है।

विश्नोई ने कहा कि वर्तमान में वन्य एवं आवारा पशुओं द्वारा किसानों की फसलों में किए जा रहे नुकसान से बचाने के लिए कृषि विभाग द्वारा वर्ष 2018-19 से सभी श्रेणी के किसानों को लक्षित कर सामुदायिक आधार पर कांटेदार अथवा चेनलिंक तारबंदी कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया है।

इसके अनुसार समूह में कम से कम 10 हैक्टेयर क्षेत्रफल हो एवं इसमें कम से कम 5 किसान शामिल हो। तारबंदी के लिए परिधि कृषकों को लागत का 50 प्रतिशत अथवा अधिकतम 40 हजार रुपए जो भी कम हो प्रति कृषक 400 रनिंग मीटर तक अनुदान देय है।

उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले रोजड़ों को प्रभावित कृषक के आवेदन पर मारने की अनुमति दिये जाने का प्रावधान किया हुआ है।

विश्नोई ने प्रदेश में किसानों की फसलों को वन्य पशुओं के नुकसान से बचाने के लिए मौजूद एवं हाल ही प्रारंभ किए गये प्रावधानों संबंधित विवरण सदन के पटल पर रखा।

उन्होंने बताया कि जंगली जानवरों से बचाव के लिए तथा किसानों को क्षतिपूर्ति राशि अदा करने के कोई प्रावधान प्रचलित नहीं है।