नहीं रहे वरिष्ठ पत्रकार अरुण कुमार ‘पानीबाबा’

नर्इ दिल्ली, 10 मर्इ (जनसमा)। वरिष्ठ पत्रकार अरुण कुमार पानीबाबा का सोमवार को दिल्ली में संक्षिप्त बीमारी के बाद देहांत हो गया। वे 74 साल के थे। 2 सितंबर 1941 को उनका जन्म हुआ था। वे अपने पीछे अपनी पत्नी और एक पुत्र छोड़ गए हैं। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविधालय से शिक्षा ग्रहण की थी।

पारिवारिक सूत्रों के अनुसार उनके फेफड़ों में संक्रमण हो गया था और उन्हें सांस लेने में कठिनार्इ हो रही थी। वे गाजियाबाद के जनसत्ता अपार्टमेंट में रहते थे।

अरुण कुमार उन पत्रकारों में थे जो वैचारिक दृष्टि से समृद्ध और निडर पत्रकार थे। किसी भी खबर के तह तक पहुंच कर उसकी तथ्यात्मक जानकारी देने में उन्हें महारथ हासिल थी। वे सालों तक ‘युनाइटेड न्यूज़ आफ इंडिया (यूएनआर्इ) से जुड़े रहे। उन्होंने 1969 में यूएनआर्इ में काम शुरू किया।

उन्होंने इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लगाए जाने वाली खबर को सबसे पहले प्रसारित करने वाला संवाददाता माना जाता है। आपातकाल के बाद उन्हे जयपुर ब्यूरो चीफ बना दिया गया था। जनता पार्टी के शासन के दौरान जब भैरोंसिंह शेखावत मुख्यमंत्री बने तब अरुण कुमार राजस्थान में ही नहीं देश भर में अपनी बेबाक खबरों के लिए चर्चित रहे। बाद में वे कुछ समय के लिए जनता पार्टी से भी जुड़े रहे।

उन्हें भारत की जनआत्मा की आवाज़ माना जाता था। वे समाजवादी विचारधारा के न केवल समर्थक बल्कि व्याख्याकार भी थे।

पत्रकारिता छोड़ने के बाद उन्होंने राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में जल संग्रहण का सामाजिक आंदोलन शुरू किया था और इसीलिए लोग उन्हें कुछ ही समय के बाद ‘पानीबाबा’ के नाम से पुकारने लगे थे।

देश में सालों से चली आ रही सूखे की समस्या को लेकर वे बहुत चिंतित थे और उनका कहना था  ”जल संग्रह की प्राचीन पद्धति एक वैज्ञानिक पद्धति  है जिसे भुला दिया गया।”

उन्होंने कुछ समाचार पत्रों में भोजन की प्राचीन भारतीय पद्धति पर कालम लिखे थे।

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