प्रसव के दौरान ‘बर्थ कम्पेनियन’ की उपस्थिति को मंजूरी

नई दिल्ली, 25 फरवरी (जनसमा)। केंद्र सरकार ने गुरूवार को एक नई पहल करते हुए प्रसव के दौरान ‘बर्थ कम्पेनियन’ की उपस्थिति को मंजूरी दे दी । प्रसव के दौरान महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ाने और प्रसव पीड़ा कम करने के उद्देश्य से भावनात्मक संबल प्रदान करने के लिए अनुभवी महिलाओं या उनके पतियों आदि को उपस्थित रहने को उचित ठहराया है।

फोटो: बी भट्ट

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए प्रसव के दौरान ‘बर्थ कम्पेनियन’ की उपस्थिति को मंजूरी दी गई है।

पिछले कई वर्षों के दौरान मंत्रालय ने मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए कई प्रयास किए हैं, लेकिन उपरोक्त कदम से और कमी आने की संभावना बढ़ गई है।

‘बर्थ कम्पेनियन’ वह महिलाएं होंगी जिन्हें प्रसव और शिशु जन्म के क्षेत्र में अनुभव प्राप्त होगा। बर्थ कम्पेनियन प्रसव के दौरान माताओं को भावनात्मक समर्थन देंगी और प्रसव संबंधी विभिन्न तकनीकों के इस्तेमाल से प्रसव पीड़ा कम करने और सहने में मदद करेंगी।

प्रसव के दौरान महिला के पति भी बर्थ कम्पेनियन के रूप में उपस्थित हो सकते हैं।

सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में जिन महिला बर्थ कम्पेनियनों की नियुक्ति होगी उनके लिए कुछ शर्तें निर्धारित की गई हैं जिनमें:-

  • उक्त महिला को किसी भी तरह का संक्रामक रोग नहीं होना चाहिए।
  • उनके वस्त्र साफ-सुथरे होने चाहिए।
  • उन्हें प्रसव के दौरान गर्भवती महिला के साथ पूरे समय रहने के लिए तैयार होना चाहिए।
  • उक्त महिला द्वारा अस्पताल के स्टाफ और उपचार प्रक्रिया में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए।
  • लेबर रूम में यदि अन्य महिलाएं भी हों तो भी जिसके लिए बर्थ कम्पेनियन की नियुक्ति की गई है उसी की जिम्मेदारी निभायेंगी।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी ‘बर्थ कम्पेनियन’ की नियुक्ति को प्रोत्साहित किया है।