अच्छी वित्तीय स्थिति वाले राज्यों को प्रोत्साहन दिया जाए : शिवराज

भोपाल, 29 अप्रैल (जनसमा)। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि वित्तीय स्थिति के आधार पर राज्यों की रेटिंग होनी चाहिये। अच्छी वित्तीय स्थिति वाले राज्यों को प्रोत्साहन दिया जाए। शुक्रवार को उन्होंने यह बातें भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन से मुख्यमंत्री निवास पर मुलाकात के दौरान  मुलाकात की। मुख्यमंत्री निवास में मुलाकात के दौरान चौहान भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर श्री राजन ने प्रदेश की लगातार बेहतर विकास दर की प्रशंसा कहीं। उन्होंने कहा कि स्कूली पाठ्यक्रम में वित्तीय साक्षरता को शामिल किया जाये।

फोटोः शिवराज सिंह चौहान से भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने मुख्यमंत्री निवास पर भेंट की।

शिवराज ने कहा कि मध्यप्रदेश में सभी क्षेत्रों में तेजी से निवेश बढ़ रहा है। युवाओं में उद्यमिता बढ़ाने के लिये मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना शुरू की गई है, जिसमें ऋण की गारंटी राज्य सरकार लेती है। कृषि में पाँच वर्ष में आय दोगुना करने का रोड मेप बनाया गया है। सिंहस्थ के दौरान मानव-कल्याण का सार्वभौम संदेश देने के लिये वैचारिक महाकुंभ किया जा रहा है।

चौहान ने कहा कि प्रदेश की साख-जमा अनुपात में निरंतर वृद्धि के लिये बैंकों द्वारा लगातार प्रयास किया जाना जरूरी है। बैंकों में नगद धनराशि की उपलब्धता में वृद्धि की जाये ताकि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूँ की खरीदी पर किसानों को सात दिन में भुगतान सुनिश्चित हो सके। नाबार्ड से किये जाने वाले पुनर्वित्त को बढ़ाकर पचास प्रतिशत किया जाये। इससे ज्यादा किसानों को लाभ होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों द्वारा शासकीय प्रतिभूतियों में एस.एल.आर. के निवेश को चरणबद्ध किया जाये। रिजर्व बैंक द्वारा राज्य शासन और भारतीय खाद्य निगम को उपलब्ध करवायी जा रही खाद्यान्न साख सीमा में ब्याज दर में अंतर नहीं होना चाहिये। विभिन्न योजना में हितग्राहियों को भुगतान गाँव में ही होना चाहिये।

इस अवसर पर रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि किसानों और विद्यार्थियों में वित्तीय साक्षरता बढ़ाने के लिये अभियान चलाया जाना चाहिये। इसे स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए। इसका प्रारूप तैयार किया जा रहा है। वसूली बढ़ाने में बैंकों की मदद की जाये। बैकिंग कॉरेस्पाँडेन्ट्स सिस्टम को मजबूत किया जायेगा। प्रशिक्षण और प्रमाणीकरण पर ध्यान दिया जायेगा। पेमेन्ट बैंक और मोबाइल बैकिंग के विस्तार के बाद विभिन्न योजनाओं में ग्रामीण क्षेत्रों में भुगतान की स्थिति में सुधार होगा। जिला सहकारी बैंकों की कार्यप्रणाली को और बेहतर बनाया जाये। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के समूहों को जरूरी अधोसंरचना उपलब्ध करवायी जाये।