अफीम पॉलिसी को लेकर सांसदों ने रखा किसानों का पक्ष

जयपुर, 16 सितम्बर (जस)।  आगामी अफीम पॉलिसी को लेकर गुरूवार को नई दिल्ली में केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री संतोष गंगवार की उपस्थिति में बैठक सम्पन्न हुई। इस महत्वपूर्ण बैठक में राजस्थान के झालावाड़ सांसद दुष्यंत सिंह, चित्तौडगढ़ सांसद सी.पी. जोशी, भीलवाडा सांसद सुभाष बहेडिया, मंदसौर सांसद सुधीर गुप्ता ने अफीम किसानो का पक्ष रखा।

बैठक में सांसदों ने कहा कि अधिकतम किसानों को लाभान्वित करने के लिये 10-10 आरी के पट्टे दिये जायें। आगामी अफीम पॉलिसी में लगभग 12,000 से 12,500 हैक्टेयर अफीम फसल का रकबा निर्धारित किया जाये तथा इसमें अधिकतम किसानों को लाभ देने के लिये न्यूनतम 10-10 आरी व अच्छी औसत देने वाले किसानों को प्रोत्साहन के लिये अधिकतम 15 आरी के अफीम पट्टे दिये जायें ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान इस खेती से पुनः जुड़ सकें। वर्तमान वर्ष (2015-16) में अफीम फसल हकवाने वाले किसानों को पुनः पट्टा दिया जाये।

सांसदों ने कहा कि चूंकि गाढ़ता का नियम समाप्त कर दिया गया है इसलिये पूर्ववर्ती वर्षो में गाढ़ता के कारण कटे हुए पट्टे पुनः बहाल किये जायें। प्राकृतिक आपदा एवं ओलावृष्टि के समय कटे हुए पट्टों की औसत शून्य मानकर उन्हें पुनः बहाल किया जाये। 1998 से 2003 तक में अफीम नीति में किसानों की अफीम तौल के पश्चात् एक केन में जाती थी परन्तु फैक्ट्री से जाँच में एक किसान मिलावट का दोषी हो जाता जो कि न्यायसंगत नहीं था, इसीलिये सरकार ने 2004 से 2009 के किसानों को इसमें छूट दी थी ऎसी छूट 1998 से 2003 तक के किसानों को भी मिले ताकि उनके पट्टे पुनः बहाल हो सके। पूर्व में 1985 की धारा 2 में मिलावट के पट्टों पर रियायत देते हुये जुर्माना लगाया जाता था, 2009 में ऎसा हुआ था इसी आधार पर 2009 के बाद के पट्टे भी मिलावट के कारण वाले उन पर आर्थिक जुर्माना लगाते हुए पट्टे बहाल किये जाये। पूर्व में कटे हुए अफीम पट्टों में 3 वर्षो की औसत को आधार मानते हुए उन्हें पुनः बहाल किया जाये।