द प्रिंस एंड द नाइटिंगेल

अभिषेक भट्ट के उपन्यास ‘द प्रिंस एंड द नाइटिंगेल’ पर बनेगी फिल्म

नीति गोपेन्द्र भट्ट—–अमरीका के न्यूजर्सी  में रहने वाले प्रवासी भारतीय अभिषेक भट्ट के ‘उपन्यास “द प्रिंस एंड द नाइटिंगेल” पर शीघ्र ही एक फिल्म बनेगी। भट्ट का यह पहला उपन्यास है I

हार्पर कॉलिन्स द्वारा प्रकाशित इस उपन्यास के बाजार में आते ही इसकी गूंज देश-विदेशों में होने लगी हैं। जाने-माने फिल्म निर्देशक हंसल मेहता कहते हैं कि “उपन्यास की, कालातीत प्रेम कहानी इतनी मधुर है कि इसे एक बार पढ़ने के बाद इसके गूढ़ रहस्य,मर्म और प्रतिध्वनि को महसूस किया जा सकता है I”

अभिषेक भट्ट दक्षिणी राजस्थान के उदयपुर संभाग के डूंगरपुर नगर के मूल निवासी है I अभिषेक वर्तमान में सीएनबीसी, न्यूयॉर्क में काम करते हैं। इससे पहले वे सोनी पिक्चर्स एंटरटेनमेंट और ओ. एंड एम में कार्यरत थे।

भट्ट का कॅरियर मुख्य रूप से फिल्म, टीवी और वेब श्रृंखला व्यवसाय के रचनात्मक और व्यावसायिक क्षेत्र में रहा है। “द प्रिंस एंड द नाइटिंगेल” उनका पहला उपन्यास है I

उपन्यास ‘द प्रिंस एंड द नाइटिंगेल’ राजा-महाराजाओं की धरती राजस्थान और देश की वाणिज्यिक राजधानी (कॉमर्शियल केपिटल) मुंबई की पृष्टभूमि में भारत की आजादी के बाद घटित सच्ची घटनाओं पर लिखी गई एक फ्रिक्शन कहानी है जो कि क्रिकेट,संगीत सिनेमा और राजनीति पर केंद्रित है।

उपन्यास ‘द प्रिंस एंड द नाइटिंगेल’ में उल्लेखित सभी स्थान, नाम और पात्र पूरी तरह से काल्पनिक हैं I जानी मानी हस्तियों ने अभिषेक के उपन्यास की कहानी को क्रिकेट,संगीत-सिनेमा और राजनीति का समिश्रण (कॉकटेल ) होने की संज्ञा दी है I

‘पुस्तक के बारे में’

उपन्यास में लिखी गई कहानी  बहुत ही रोचक है जिसके अनुसार भारत की स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर, रणकपुर के महाराजा उदय सिंह (काल्पनिक नाम) अपने वारिसों को नए भारत में अपना स्थान बनाने के लिए आग्रह करते हैं, क्योंकि रियासत पर उनका 600 साल का शासन अब समाप्त होने जा रहा है। इस क्रम में उदय सिंह के मंझले बेटे अभिमन्यु (काल्पनिक नाम) – क्रिकेट के प्रति अपने प्रेम और जुनून को पूरी तरह आत्मसात करने के लिए मुंबई की ओर रवाना हो गए।

युवा राजकुमार मुंबई महानगर में एक सामान्य व्यक्ति के रूप में अपना जीवन व्यतीत करने की कोशिश करते है, इसी दौरान उसकी मुलाकात मीरा आप्टे नामक एक युवती से होती है, जो एक संघर्षशील गायिका है और फ़िल्मों में प्लेबैक देने के लिए संघर्ष कर रही है। उसके पास भारतीय शास्त्रीय संगीत की खूबियों के साथ साथ मधुर आवाज की पूँजी,विशेषता और प्रतिभा  है।

जैसे-जैसे दोस्ती आगे बढ़ती है वह गहरे प्यार में बदल जाती है। धीरे-धीरे अभिमन्यु, खुद को पारिवारिक कर्तव्यों और मीरा के प्रति बढ़ते लगाव और आकर्षण के बीच फंसा हुआ पाता है। अंत में, वे दोनों एक ऐसा विकल्प स्वीकार करने के लिए तैयार होते हैं, जो उनके भाग्य को हमेशा के लिए बदल देने वाला है ।

“द प्रिंस एंड द नाइटिंगेल” उपन्यास में एक राजकुमार और एक सुर कोकिला गायिका के स्टार-क्रॉस प्रेम की एक दुखद कहानी है।

लेखक अभिषेक भट्ट कहते हैं कि अपना अधिकांश वयस्क जीवन भारत के बाहर सिंगापुर और अमरीका आदि देशों में बिताने के बाद, मैं भारत के समृद्ध इतिहास और चित्रपट (टेपेस्ट्री) से बहुत गहराई से आकर्षित हुआ और भारत की जिन समृद्ध धरोहरों और अनुभवों को मैंने देश से बाहर रहने से खोया था उससे इस किताब के माध्यम से पुनःजुड़ने का यह मेरा तरीका है।

वे कहते है कि एक नए राष्ट्र के रूप में भारत की शुरुआत को बेहतर ढंग से प्रस्तुत करने का इससे बेहतर तरीका और क्या हो सकता है?सच्ची घटनाओं से प्रेरित, यह पुस्तक इतिहास में असाधारण समय से गुजरने वाले साधारण पात्रों की कहानी कहती है। उम्मीद है कि सुधी पाठक इसके पात्रों के चरित्र और मानवता के गुणों की पहचान करेंगे और खुद को भी गहराई से इस रास्ते में पायेंगे।

वरिष्ठ कमीशनिंग एडिटर दफ्तुअर कहती हैं कि भट्ट के गतिशील विचारों को आगे बढ़ाने वाली इस किताब को लेकर हम बहुत रोमांचित हैं।यह अपने केंद्र में दो ऐसे बहुत मजबूत और भावुक लोगों के सम्बन्धों को अपने साथ जोड़ती है लेकिन अंततः दिल तोड़ने वाली है।

निश्चित रूप से इतिहास,रोमांस, क्रिकेट और भारतीय सिनेमा से प्यार करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए यह उपन्यास “द प्रिंस एंड द नाइटिंगेल” एक शानदार उपहार  है ।