उच्च न्यायालय ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन हटाया

देहरादून, 21 अप्रैल (जनसमा) | केंद्र सरकार को बड़ा झटका देते हुए उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने गुरुवार को राज्य में लागू राष्ट्रपति शासन हटा दिया। राज्य के अपदस्थ मुख्यमंत्री हरिश रावत द्वारा दायर याचिका पर लगातार दो दिन की सुनवाई के बाद अदालत ने राज्य में लागू राष्ट्रपति शासन को अमान्य घोषित कर दिया।

कांग्रेस नेता और राज्य की पूर्व वित्त मंत्री इंदिरा ह्दयेश ने कहा कि उनकी पार्टी सच्चाई और कानून को बनाए रखने के लिए न्यायपालिका को सलाम करती है।

उत्तराखण्ड हाईकोर्ट के निर्णय पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए  हरीश रावत ने कहा है कि उत्तराखण्ड के शरीर पर जो गहरे घाव लगे हैं और सत्ता व धन-बल से दल-बदल करवाया गया है इन सारे घावों पर माननीय न्यायालय ने मरहम लगाने का काम किया है।

उन्होंने कहा ‘‘राज्य की जनता की तरफ से कहना चाहूँगा कि आगे की तरफ देखें। न्यायालय में बातचीत आगे भी जाएगी लेकिन मैं केन्द्र सरकार से कहना चाहूंगा कि सार्वजनिक जीवन में राज्य के साथ सहयोग करें।’’

उन्होंने कहा कि विधानसभा में हम बहुमत सिद्ध करने से कुछ ही दूर थे किंतु राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। किसी भी सरकार के लिए मार्च और अप्रैल के महीने राज्य विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं जिसमें राज्य के विकास की नींव रखी जाती है।

कांग्रेस ने अपने विधायकों को देहरादून बुला लिया है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता सुब्रमह्मयम स्वामी ने उच्च न्यायालय के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल को हटा दिया जाना चाहिए क्योंकि वह अदालत में अच्छी तैयारी करके नहीं गए और केन्द्र सरकार का पक्ष सही से नहीं रख पाए।

भाजपा के नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि विधि विशेषज्ञ उच्च न्यायालय के फैसले की स्टडी कर रहे हैं और जिस तरह की बात चल रही थी उसमें यह निर्णय अपेक्षित था। उन्होंने कहा, ‘‘हम आज भी कह रहे हैं कि हरीश रावत अल्पमत में हैं। हमें कोई चिंता नहीं है। सब कुछ 29 अप्रैल को सिद्ध हो जाएगी।’’

केन्द्र सरकार सर्वोच्च न्यायालय में उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देगी।

(जनसमाचार ब्यूरो के साथ आईएएनएस)