Banni, once home to leopards, will again gain global recognition

कभी चीतों का निवास रहा बन्नी फिर से वैश्विक पहचान हासिल करेगा

गांधीनगर, 9 दिसंबर। केंद्र सरकार ने बन्नी घास के मैदान (Banni grassland) में चीतों के संरक्षण-प्रजनन के लिए समर्पित पहले प्रजनन केंद्र को मंजूरी दे दी है।
वन मंत्री मुलुभाई बेरा ने बताया कि राज्य सरकार ने गुजरात में कच्छ (Kutch) जिले के बन्नी घास के मैदानों में चीतों (cheetahs) के संरक्षण प्रजनन के लिए एक परियोजना विकसित की है। देश में चीता की आबादी को पुनर्जीवित करने के लिए चीता प्रजनन का समर्थन करने के उद्देश्य से यह पहल, राष्ट्रीय प्रतिपूरक वनीकरण निधि प्रबंधन प्राधिकरण (राष्ट्रीय CAMPA) के तहत तैयार की गई है।
परियोजना को मंजूरी के लिए नई दिल्ली में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया है। शुक्रवार को राष्ट्रीय CAMPA कार्यकारी समिति की बैठक के दौरान इस परियोजना को मंजूरी मिल गई, जो गुजरात के लिए गौरव का क्षण है।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) परियोजना की प्रगति की निगरानी करेगा।
बेरा ने बताया कि ऐतिहासिक रूप से, बन्नी घास का मैदान चीतों का निवास स्थान था। समय के साथ चीते विलुप्त हो गये। गुजरात ने इस मुद्दे के समाधान के लिए पहल की और बन्नी ग्रासलैंड क्षेत्र में चीतों के लिए एक प्रजनन केंद्र स्थापित करने के लिए एक परियोजना तैयार की, जिसे बाद में भारत सरकार को सौंप दिया गया। केंद्र सरकार की मंजूरी के साथ, कच्छ का बन्नी ग्रासलैंड एक बार फिर चीतों के निवास स्थान के रूप में वैश्विक पहचान हासिल करेगा, जिससे कच्छ सहित गुजरात में पर्यटन उद्योग को महत्वपूर्ण बढ़ावा मिलेगा।