कलयुग में भी कुम्भ को बराबर महत्व दिया जा रहा है: रघुवर

भोपाल, 14 मई (जनसमा)। मध्यप्रदेश के उज्जैन में चल रहे ‘सिंहस्थ-2016’ के दौरान आयोजित किए गए अंतर्राष्ट्रीय विचार महाकुम्भ कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा, ‘‘कुम्भ की शुरुआत सतयुग में हुई थी। इसे कलयुग में भी बराबर का महत्व दिया जा रहा है। इसके वैज्ञानिक व प्रबंधकीय पहलू को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिली है। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में कुम्भ मेला को सबसे बड़ी मानव गैदरिंग माना गया है।’’

उन्होंने कहा कि विचार महाकुम्भ के दौरान संत, महात्मा, साधु, बुद्धिजीवियों के मंथन के बाद जो 51 संकल्प लिए गए हैं, झारखंड सरकार उन्हें जमीन पर उतारने का पूरा प्रयास करेगी।

रघुवर दास ने कहा कि झारखंड से भी बड़ी संख्या में भक्त यहां से संतुष्ट होकर लौट रहे हैं और भारत की प्राचीन परंपरा को लोगों तक पहुंचा रहे हैं। कुम्भ कभी हिंदू धर्म के विभिन्न आयामों पर परिचर्चा का एक मंच हुआ करता था। अब यह वैश्विक मंच बन गया है। यह अंतर्राष्ट्रीय समागम यह सिद्ध करता है कि हमारे ऋषियों और हमारे चिंतकों ने जीवन के प्रति जो सिद्धांत बताये थे, वह विश्वस्तर पर स्थापित हो रहे हैं।

रघुवर दास ने कहा कि विश्वभर में कुम्भ मानव समागम का सबसे बड़ा उदाहरण है। यह समागम भारतीय मनीषा, संस्कृति, अध्यात्म और भारतीय धरोहर को विश्व में स्थापित करने का अवसर प्रदान करता है। श्रद्धालुओं को यहां आकर अध्यात्म से जुड़ने का सौभाग्य मिल रहा है। यहां कुम्भ मेला में भारत की प्राचीन परंपरा और आधुनिक बदलाव दोनों का समागम दिखता है।

उन्होंने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तारीफ करते हुए कहा कि इस समागम को जिस तरह से उन्होंने सफल बनाया है, यह उनके अथक प्रयास एवं संकल्पशीलता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत को आर्थिक और सामाजिक रूप से मजबूत कर रहे हैं, वहीं इस महाकुम्भ के माध्यम से शिवराज को भारत की समृद्ध परंपरा और संस्कृति को विश्वपटल पर स्थापित करने का प्रयास करने का अवसर मिला है। मैं उन्हें बधाई देता हूं कि उन्होंने इसमें सफलता हासिल की।