कांग्रेस को अलग-थलग करने का इरादा नहीं : जेटली

नई दिल्ली, 18 जून | वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कांग्रेस को अलग-थलग करने का उनकी सरकार का कोई इरादा नहीं है। जेटली ने यह बात ऐसे समय में कही है, जब ऐसी खबरें आई हैं कि सरकार की सुधार समर्थक विधायी रणनीति पर कांग्रेस को अलग-थलग करने के लिए भाजपा क्षेत्रीय पार्टियों के साथ काम कर रही है। जेटली ने ‘टाइम्स नाउ’ को दिए साक्षात्कार में कहा, “मेरा इरादा कांग्रेस को अलग-थलग करने का नहीं है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक भाजपा का विधेयक नहीं है। इसे कांग्रेस लेकर आई थी। जीएसटी से देश को फायदा होगा।”

जेटली ने सरकार और क्षेत्रीय पार्टियों जैसे ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस और जे. जयललिता की एआईएडीएमके के बीच किसी समझौते से इन्कार किया है और कहा, “जीएसटी कोई पक्षपातपूर्ण मुद्दा नहीं है। यहां कोई राजनैतिक गठजोड़ नहीं है। यह समझ बनी है कि अगर किसी राज्य को पहले पांच सालों में कोई घाटा होता है तो उसे केंद्र पूरा करेगा।”

इससे पहले मंत्री ने कहा था कि लगभग सभी राज्य इस विधेयक के समर्थन में हैं।

लोकसभा ने जीएसटी विधेयक को मई 2015 में पारित कर दिया था, लेकिन यह राज्यसभा से पारित नहीं हो पाया है। राज्यसभा में सरकार के पक्ष में ज्यादा सदस्य नहीं है, इसलिए यह विधेयक अटका हुआ है।

जेटली ने कहा कि सरकार इस विधेयक पर सहमति बनाने की कोशिश में जुटी है।

उन्होंने कहा, “मैं अंतिम दिन तक कांग्रेस को राजी करने की कोशिश करता रहूंगा, क्योंकि इस विधेयक को वही लेकर आए थे। अगर कांग्रेस इस विधेयक के विरोध पर कायम रहती है तो राज्यसभा में मतदान से ही फैसला होगा। इसके अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं है।”

जेटली ने कहा कि जीएसटी के पारित होने से सभी राज्यों को फायदा होगा।

“केरल की वामपंथी सरकार, पश्चिम बंगाल की तृणमूल सरकार, बिहार की जद (यू) सरकार और यहां तक कि ओडिशा की बीजू जनता दल सरकार. सभी को इससे लाभ होगा।”

वहीं, दूसरी तरफ उन्होंने कहा कि सभी उत्पादक राज्य जैसे गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु मुआवजे की मांग कर रहे हैं, इसलिए उनको पैकेज देने की पेशकश की गई है।

एक सवाल के जबाव में उन्होंने कहा कि जीएसटी के मुद्दे के अलावा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और तृणमूल कांग्रेस के बीच सभी मुद्दों को लेकर एक-दूसरे के प्रति विरोधी रुख है।

दालों और सब्जियों की कीमतों में हुई तेज वृद्धि पर मंत्री ने कहा कि मूल्य वृद्धि का विश्लेषण इसके उचित संदर्भ में किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, “आप संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार में 11 फीसदी मुद्रास्फीति की दर के साथ रहे। वहीं राजग सरकार ने इसके घटाकर लगातार 4-4.5 फीसदी पर बरकरार रखा है। ज्यादातर चीजों की कीमतें काबू में हैं। सब्जियों की कीमतों में मौसम के हिसाब से तेजी आई है। यह मांग और आपूर्ति का मसला है और जब अतिरिक्त उपज बाजार में आएगी, कीमतें गिर जाएंगी।”

हालांकि उन्होंने माना कि दालों की महंगाई एक ‘गंभीर चुनौती’ है। उन्होंने कहा कि सरकार बहुत सारे देशों जैसे म्यांमार और मोजांबिक आदि से दाल मंगवाने की कोशिश कर रही है।

जेटली ने कहा, “जैसे ही आपूर्ति बढ़ेंगी कीमतें अपने आप गिर जाएंगी। पिछले साल हमने जमाखोरी के खिलाफ कार्रवाई की थी और दो हफ्तों में ही दालों की कीमत 50 रुपये तक घट गई थी।”