कोई प्रोडक्ट स्टैंडर्ड के अनुसार नहीं है तो बाजार से हटाने, लाइसेंस रद्द करने और दंड देने का कानून बना

नई दिल्ली, 09 मार्च (जनसमा)। स्वास्थ्य, सुरक्षा तथा पर्यावरण से संबंधित वस्तुओं के उत्पादों और सेवाओं के लिए कानून बन गया है। अगर किसी निर्माता का कोई प्रोडक्ट उसके द्वारा निर्धारित किये गए स्टैंडर्ड के अनुसार नहीं है तो ब्यूरो आॅफ इण्डियन स्टैंडर्ड (बीआईएस) या भारतीय मानक ब्यूरो उसे निर्माता को बाजार से हटाने के लिए आदेश दे सकता है या उसका लाइसेंस रद्द कर सकता है। अभी तक यह कानून हमारे देश में नहीं था।

ध्यान में रखने की बात है कि अमरीका और अन्य विकसित देशों में किसी भी प्रकार का खाद्य पदार्थ या वस्तु स्टैंडर्ड के अनुसार नहीं है तो सरकार उसे तुरंत बाजार से वापस लेने का आदेश निर्माता कम्पनी को देती है। अमरीका में डिब्बा बंद खाद्य पदार्थों के बारे में अक्सर ऐसा होता है ताकि किसी उपभोक्ता को नुकसान न हो।

कानून के लागू होने के बाद निर्माता को कठोर दंड (दो वर्ष की कैद) या उत्पाद के मूल्य या बिक्री या दोनों के मूल्य से दस गुना दंड देना या भरना होगा।
बिल के प्रावधानों के अनुसार भारतीय मानक ब्यूरो अब उत्पादों के मानकों के अनुरूप नहीं होने पर बाजार से उत्पाद वापस लेने का आदेश दे सकता है। इसके अतिरिक्त निर्माता का लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है।

स्वास्थ्य, सुरक्षा तथा पर्यावरण से संबंधित उत्पादों और सेवाओं के लिए मानक प्रमाणन या स्टैंडर्ड्स सर्टिफिकेशन आवश्यक होगया है।
ब्यूरो आॅफ इण्डियन स्टैंडर्ड बिल- 2016 या भारतीय मानक ब्यूरो विधेयक में उत्पाद और सेवाएं मानकों के अनुरूप न होने पर उपभोक्ताओं को मुआवजे का प्रावधान किया गया है।

लोकसभा में मंगलवार को पास किया गया भारतीय मानक ब्यूरो विधेयक 2016 देश में गुणवत्ता संपन्न उत्पादों और सेवाओं को सुनिश्चित करने की दिशा में एक प्रमुख कदम है।

भारतीय मानक ब्यूरो विधेयक के प्रावधानों से आवश्यक प्रमाणन के माध्यम से उत्पादों तथा सेवाओं की गुणवत्ता संस्कृति विकसित होगी। राज्यसभा ने कल इस विधेयक को पारित कर दिया, लोकसभा ने 3 दिसंबर, 2015 को इसे अपनी स्वीकृति दे दी थी। विधेयक की कुछ विशेषताएं इस प्रकार हैः

विधेयक स्वास्थ्य, सुरक्षा, पर्यावरण, गलत व्यवहारों को रोकने, सुरक्षा आदि की दृष्टि से आवश्यक होने पर सरकार को किसी उत्पाद, प्रक्रिया या सेवा को आवश्यक रूप से प्रमाणन व्यवस्था के अंतर्गत लाने का अधिकार देता है। इससे उपभोक्ताओं को गुणवत्ता संपन्न उत्पाद मिलेगे और स्टैंडर्ड से कम उत्पादों के आयात को रोकने में मदद मिलेगी।

अनावश्यक फील्ड निरीक्षण को सीमित करके कारोबार में सहजता के लिए विधेयक में कुछ श्रेणियों के लिए भारतीय मानकों का स्वैच्छिक पालन की घोषणा की व्यवस्था है। साथ-साथ अनुपालन नहीं करने पर कठोर दंड का प्रावधान किया गया है। कठोर दंड में दो वर्ष की कैद या उत्पाद के मूल्य या बिक्री या दोनों के मूल्य से दस गुना दंड देना या भरना होगा।

वस्तुओं और सेवाओं के मानकों के अनुरूप नहीं होने पर भारतीय मानक ब्यूरों उपभोक्ताओं को मुआवजा देने का आदेश कर सकता है।

विधेयक में सरकार को सोना तथा चांदी जैसे मूल्यावान धातुओं की हॉलमार्किंग को आवश्यक बनाने का अधिकार दिया गया है।

अब देश में सेवा क्षेत्र का महत्व काफी बढ़ गया है। इसलिए स्वास्थ्य सेवा तथा शिक्षा सेवा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सेवाओं तथा प्रणालियों को मानक व्यवस्था के अंतर्गत लाया गया है।

विधेयक भारतीय मानक ब्यूरो को राष्ट्रीय मानक संस्था का दर्जा देता है।