गैर कृषि उपयोग को रोकने के लिए शत-प्रतिशत यूरिया को अब नीमयुक्त कर दिया गया

नई दिल्ली, 11  मार्च (जनसमा)। गैर कृषि उपयोग को रोकने के लिए शत-प्रतिशत यूरिया को अब नीमयुक्त कर दिया गया है। ऐसी उम्मीद है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 17 लाख एमटी (मैट्रिक टन) अतिरिक्त यूरिया का उत्पादन होगा। इसके अतिरिक्त, उत्पादकता बढाने के प्रयास और तेज किये जाएंगे।

इसके अतिरिक्त सिटी कंपोस्ट को बढ़ावा देना एक अहम पहल है जिसका उद्देश्य नगरों को स्वच्छ बनाना तथा नगर के कचरे का उपयोग मृदा स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए कंपोस्ट के रूप में लाना शामिल है। इस नीति के तहत पहली बार 1500 रूपये प्रति एमटी की बाजार विकास सहायता उत्पादन एवं उपभोग को बढ़ाने के लिए प्रदान की जाएगी।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने  पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) योजना के तहत सब्सिडी के लिए योग्य होने वाली सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) बनाने वाली इकाईयों के लिए न्यूनतम क्षमता उपयोग मानदंड को तत्काल प्रभाव से हटाए जाने के प्रस्ताव को गुरूवार को मंजूरी दे दीगई।

यह मंजूरी सरकार द्वारा हाल किए जाने वाले नीतिगत सुधारों के क्रम में है जिनमें नई यूरिया नीति, 2015 एवं यूरिया उत्पादन के लिए गैस पूलिंग शामिल है। ऊर्जा कुशलता को बढावा देने एवं गैस मूल्य निर्धारण तंत्र को युक्ति संगत बनाने पर जोर दिए जाने के कारण इस वर्ष की अभी तक की अवधि में अब तक का सर्वाधिक उत्पादन हुआ है।

एसएसपी एक फासफेटिक बहुपोषक उर्वरक है जिसमें 16 प्रतिशत फासफेट, 11 प्रतिशत सल्फर, 16 प्रतिशत कैल्सियम तथा कुछ अन्य अनिवार्य सूक्ष्म पोषक तत्व होते हैं। अपनी सरल उत्पादन तकनीक के कारण यह उपलब्ध उर्वरकों में सबसे सस्ता रसायनिक उर्वरक है। यह तिलहनों, दालों, बागवानी, सब्जियों, ईंख आदि जैसी फसलों के लिए अधिक अनुकूल है।

एसएसपी इकाइयों के लिए सब्सिडी पाने के योग्य बनने के लिए अपनी स्वीकृत उत्पादन क्षमता न्यूनतम 50 प्रतिशत का उपयोग करना या प्रतिवर्ष 40 हजार एमटी का उत्पादन करना, इनमें से जो भी कम होए अनिवार्य बना दिया गया था। प्रारंभ में कुछ क्षमता संवर्धन किया गया था लेकिन पिछले 4 वर्षों के दौरान देश में एसएसपी के उत्पादन एवं उपभोग की स्थिति कमोबेस स्थिर ही रही है।

न्यूनतम क्षमता उपयोग मानदंड को हटाने की यह नई नीति एसएसपी इकाईयों को भी अन्य उर्वरकों के समान ही बना देगी और वे कृषि उद्देश्यों के लिए उत्पादित एवं विक्रय की मात्रा के बावजूद सब्सिडी पाने के योग्य बन जाएंगे।