जुकरबर्ग, चान का बीमारियों के लिए 3 अरब डॉलर देने का वादा

सैन फ्रांसिस्को, 23 सितम्बर | आने वाली पीढ़ी को बीमारियों से मुक्त रखने के लिए फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग और उनकी पत्नी प्रिसिला चान ने अगले एक दशक में चिकित्सा अनुसंधान निधि के लिए तीन अरब डॉलर देने का वादा किया है। जुकरबर्ग और चान ने दिसंबर 2015 में बनी नई परियोजना चान जुकरबर्ग उपक्रम के अगले चरण का अनावरण किया है। इसके तहत मानवीय कारणों से अरबों डॉलर से अधिक धन को मानवता की भलाई में निवेश किया जाएगा।

सैन फ्रांसिस्को में बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान इस जोड़ी ने कहा कि उनका अंतिम लक्ष्य सदी के अंत तक रोगों का रोकथाम और उचित प्रबंध करना है।

फाइल फोटो  आईएएनएस : जुकरबर्ग

इस सम्मेलन में जुकरबर्ग के साथ गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई और रूस के अरबपति निवेशक यूरी मिलनर भी शामिल हुए।

जुकरबर्ग ने वहां पर जमा लोगों को बताया ,”सबसे बड़ी सफलता मिलने में कई साल लग सकते हैं। हम अपने बच्चों के लिए जो भविष्य चाहते हैं यह उसके बारे में हैं, अगर हमें हमारे बच्चों के जीवनकाल में होने वाली बीमारियों के इलाज में मदद करने का एक भी मौका मिलता है तो फिर हम अपने हिस्से का काम करने जा रहे हैं।”

वेबसाइट ‘री/कोड’ के अनुसार, जुकरबर्ग और चान ने 60 करोड़ डॉलर के निवेश से सैनफ्रांसिस्को स्थित नई अनुसंधान फैसिलिटी ‘चान जुकरबर्ग बायोहब’ को शुरू किया है।

जुकरबर्ग ने कहा कि वर्तमान में 50 गुना अधिक पैसा बीमारों और बीमारियों के रोकथाम पर खर्च किया जा रहा है।

बायोहब शुरू में दो परियोजनाओं पर काम करेगी।

पहली परियोजना के अंतर्गत सेल एटलस नक्शा में विभिन्न कोशिकाओं का वर्णन होगा जो शरीर के प्रमुख अंगों को नियंत्रित करती हैं।

दूसरी परियोजना एक प्रकार से संक्रामक रोग संबंधी पहल होगी। जो एचआईवी, इबोला, जीका और अन्य नई बीमारियों से निपटने के लिए नए परीक्षणों और टीकों का विकास करेगी।

जुकरबर्ग के मुताबिक, 2100 तक इंसान की औसत आयु 100 साल से परे होगी, लेकिन उन्होंने आगाह किया कि ऐसा होने में कई साल लग सकते हैं, क्योंकि जमीनी स्तर पर नई चिकित्सा उपचार पर काम करने और मरीजों को सारी सुविधाएं उपलब्ध कराने संबधी चीजों को लागू करने में वक्त लग सकता है।

कई तकनीकी कंपनियां स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने के लिए आगे आई हैं।

इससे पहले सप्ताह में माइक्रोसॉफ्ट कंपनी ने सूचना देने वाली कृत्रिम उपकरण की मदद से कैंसर की बीमारी का हल निकालने के संबंध में काम करने के लिए कहा था।

गूगल का डीपमाइंड इकाई कंप्यूटर के जरिए अधिक से अधिक रोगों के निदान का उपाय खोजने के लिए नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) के साथ काम कर रहा है।

आईबीएम और मैसाच्यूसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने इस सप्ताह आर्टिफिशियल इंटेलीजेन्स सिस्टम आधारित तकनीक का विकास करने के लिए हाथ मिलाया है, जिससे बुजुर्ग और विकलांग रोगियों की हालत में सुधार लाने और देखभाल में मदद मिल सकती है। –आईएएनएस