……तो स्वर्ण पदक जीतता : फिदेल कास्त्रो

फिदेल कास्त्रो एलेजांद्रो रूज़ 13 अगस्त, सन् 1926 को बिरान, क्यूबा में जन्मे। आज 90साल के फिदेल कास्त्रो को क्यूबा का महान् राजनीतिज्ञ और क्रांतिकारी माना जाता है। इन्होंने 1959 से 1976 तक क्यूबा गणराज्य के प्रधानमंत्री के रूप में और फिर 1976 से 2008 तक राष्ट्रपति के रूप में अपने देश की सेवा की है। फिदेल कास्त्रो और क्यूबा गणराज्य के साथ भारत के अच्छे संबंध रहे हैं।

हवाना, 14 अगस्त । क्यूबा के नेता फिदेल कास्त्रो पिछली आधी सदी से ज्यादा समय से अपने कई राजनीतिक शत्रुओं के निशाने पर रहे हैं। उनके दुश्मनों ने हर प्रकार से फिदेल कास्त्रो का तख्तापलट करने का प्रयास किया, जिसमें उनकी हत्या की कोशिश भी शामिल है।

कास्त्रो ने स्वयं पर हुए हत्या के इतने प्रयासों के बारे में एक बार कहा था कि उन्हें लगता है कि इस मामले में उन्होंने विश्व रिकॉर्ड बना लिया है।

उन्होंने कहा, “यदि मेरी हत्या के इतने प्रयास किसी ओलम्पिक आयोजन में होते तो मैं यकीनन स्वर्ण पदक जीतता।”

फाइल फोटो: तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने सितंबर 17, 2006 को अपनी यात्रा के दौरान क्यूबा की राजधानी हवाना में राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो के साथ मुलाकात की। 

कास्त्रो के 47 वर्ष के शासन के दौरान उनके खिलाफ 637 बार साजिशें रची गईं, जिसमें से 164 का मुख्य उद्देश्य उनकी जान लेना था। इस तरह वह 20वीं सदी में विरोधियों के सर्वाधिक निशाने पर रहे।

क्यूबा के स्टेट सुरक्षा अनुसंधान केंद्र के जांचकर्ता प्रेडो एचवेरी ने कहा, “पिछले कुछ वर्षो में क्यूबा के कई सुरक्षा अनुसंधानकर्ताओं ने जांच शुरू की है और हम इस नतीजें पर पहुंचे हैं कि फिदेल कास्त्रो की हत्या के लिए 637 बार विभिन्न तरीकों से षडयंत्र रचा गया है।”

एचवेरी ने कहा कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने 1975 में यह स्वीकार किया कि उन्होंने 1960 से कास्त्रो की हत्या के लिए आठ बार प्रयास किए, जिसके बाद उन्होंने अमेरिका से संबंध समाप्त कर पूर्व सोवियत संघ के साथ राजनीतिक एवं आर्थिक गठबंधन स्थापित किए।

उन्होंने आगे कहा, “उन साजिशों को अमल में नहीं लाया गया, क्योंकि हमारे सुरक्षाबलों ने इन्हें खारिज कर दिया था। लेकिन इससे यह पता चलता है कि अमेरिका ने किस तरह फिदेल को मारने की साजिश रची। वह क्यूबा में अमेरिका के हितों के लिए चुनौती बने हुए थे।”

विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका और कास्त्रो विरोधी समूह क्रांति के शुरुआती वर्षो में बहुत आक्रामक थे और कास्त्रो को मारने की बार-बार साजिशें रची जाती रही थी।

उन्होंने कहा कि इतनी साजिशों के बावजूद भी कास्त्रो हर बार बच निकलते थे। इसके कई कारक थे, जिनमें से एक उनका भाग्य भी था। निशानेबाजी से लेकर बजूका, वीडियो कैमरे में बंदूक छिपाने से लेकर, मिल्कशेक में जहर मिलाना और उनकी दाढ़ी हटाने के लिए रासायनिक हमले उनकी हत्या के लिए इस्तेमाल किए गए कुछ तरीके थे। इन सभी साजिशों में से एक चिली में 1971 में इस्तेमाल में लाई गई योजना सर्वाधिक कुख्यात रही जब कास्त्रो पूर्व राष्ट्रपति और अपने संबंधी साल्वाडोर एलेंडे से मिलने गए थे।

एचवेरी कहते हैं, “संवाददाता सम्मेलन के दौरान, सीआईए का सामना दो कैमरामैन से हुआ, जिन्होंने अपने वीडियो कैमरे में बंदूकें छिपा रखे थे। सम्मेलन में फिदेल के आने से कुछ मिनटों पहले इन दोनों घुसपैठियों में से एक ने फिदेल पर गोली चलाने से इनकार कर दिया, जबकि दूसरा भी पीछे हट गया।”

एक अन्य वाकया 1997 में वेनेजुएला में हुआ, जब फिदेल कास्त्रो ने सातवें इबेरोअमेरिकन सम्मेलन में शिरकत की और इस दौरान आतंकवादी संगठनों ने उनकी हत्या की साजिश रची।

उन्होंने बताया, “फिदेल को मारने की योजना यह थी कि जब उनका विमान वेनेजुएला के मारगारिटा द्वीप पर उतरे तो बजूका से उस पर निशाना साधा जाए, लेकिन इससे पहले दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया और उनके कब्जे से दो बजूका, विस्फोटकों और बंदूक भी बरामद किए गए।”

एचवेरी का मानना है कि कास्त्रो के दुश्मनों ने कभी भी उन्हें मारने के प्रयास बंद नहीं किए जब तक कि वह 2008 में सेवानिवृत्त नहीं हो गए।

उन्होंने कहा, “अमेरिका सरकार और आतंकवादी संगठनों ने फिदेल को मारने की कोशिश जारी रखी, क्योंकि वह सामाजिक न्याय, संप्रभुता और क्यूबा और विश्व के कई अन्य देशों की स्वतंत्रता के प्रतीक हैं।”(आईएएनएस/सिन्हुआ)