दिल्ली में जल संकट नहीं, जल संचयन अनिवार्य होगा : मंत्री

नई दिल्ली, 9 अप्रैल | दिल्ली के पास अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए बहुत जल है। इसकी आशंका बहुत कम है कि भविष्य में शहर में जल संकट हो। दिल्ली के जल मंत्री कपिल मिश्र ने यह बात कही। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार जुलाई से जल संचयन (वाटर हार्वेस्टिंग) को अनिवार्य करने जा रही है।

मिश्र ने आईएएनएस से एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार उन इलाकों में पाइप से जलापूर्ति की सुविधा मुहैया कराने में तेजी ला रही है, जिन इलाकों में यह सुविधा नहीं है। उन्होंने कहा कि आप की सरकार वर्ष 2017 के अंत तक मलिन बस्तियों सहित प्रत्येक कॉलोनी को पाइप के जरिए जलापूर्ति नेटवर्क में लाने की तैयारी में है।

मिश्र ने कहा, “हमारे पास पर्याप्त पानी है। दिल्ली में पानी की उपलब्धता को लेकर कोई संकट नहीं है। संकट जल प्रबंधन और वितरण का है, जिसे पाइप के जरिए आपूर्ति नेटवर्क बनाकर दूर किया जाएगा। हमारा लक्ष्य वर्ष 2017 तक सभी घरों में समान रूप से पेयजल उपलब्ध कराना है।”

उन्होंने कहा, “दिल्ली में भूजल स्तर को बढ़ावा देने और जल संसाधनों को फिर से जीवित करने के लिए राज्य सरकार ने वर्षा जल संचयन को अनिवार्य करने की एक योजना बनाई है।

हम लोग शहर में वर्षा जल संचयन को अनिवार्य करने जा रहे हैं। 500 वर्ग मीटर या इससे अधिक क्षेत्रफल वाले किसी भी भूखंड या भवन को वर्षा जल संचय का इंतजाम करना होगा। हमलोगों ने इसका इंतजाम करने के लिए 30 जून तक का समय दिया है। एक जुलाई से ऐसा नहीं करने पर दंड लगाया जाएगा।”

मंत्री ने कहा कि जो लोग इस श्रेणी के तहत आएंगे और इसे लागू नहीं करेंगे, उनके पानी का बिल खुद ब खुद एक जुलाई से डेढ़ गुना हो जाएगा।

मिश्र ने कहा कि शहर में लंबे समय तक पाइप के जरिए जलापूर्ति का कोई नेटवर्क नहीं था, जो जल समस्या का अभी सबसे बड़ा कारण है।

हमलोगों ने एक साल के अंदर 217 कॉलोनियों में पाइप के जरिए पानी पहुंचाया। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। इस साल के समाप्त होने तक हमारा लक्ष्य 238 कॉलोनियों में पाइप से पानी पहुंचाने का है।

दिल्ली में हर दिन 90 करोड़ गैलन पानी (एमजीडी) की आपूर्ति की जाती है। इसमें एक हजार वाटर टैंकर और जलापूर्ति पाइप का बड़ा नेटवर्क काम करता है।

दिल्ली को पड़ोसी राज्य हरियाणा और उत्तर प्रदेश से अधिकांश पानी मिलता है। उत्तर प्रदेश के ऊपरी गंग नहर से 240 एमजीडी पानी मिलता है, जो उत्तर प्रदेश के मुराद नगर से आता है। जबकि 580 एमजीडी हरियाणा से यमुना नदी और रावी-ब्यास जल योजना के तहत आता है। इसके अलावा दिल्ली 80 एमजीडी अपने भूजल का भी इस्तेमाल करती है।

उन्होंने कहा कि जहां जल बोर्ड की जलापूर्ति अच्छी है, वहां आरओ (रिवर्स ओस्मोसिस) के पानी की जरूरत नहीं है। हमलोग नई प्रयोगशालाएं खोलेंगे और अपने तकनीकी कर्मचारियों की संख्या बढ़ाएंगे ताकि हमारे जल की गुणवत्ता की जांच हो सके और उनमें सुधार किया जा सके।

हमारी परिकल्पना आने वाले वर्षो में दिल्ली को आरओ मुक्त बनाने की है।(आईएएनएस)