Central team visits to trace the source of Nipah virus

निपाह वायरस के स्रोत का पता लगाने के लिए केंद्रीय टीम का दौरा

निपाह वायरस (Nipah virus) के स्रोत का पता लगाने के तहत केंद्रीय टीम ने कोझीकोड ज़िले में कुट्टयाडी (Kuttyadi) में निरीक्षण किया।
कोझीकोड (KOZHIKODE), 15 सितम्बर। केंद्रीय टीम ने मारुथोंकारा पंचायत के कल्लड निवासी के घर का दौरा किया, जिनकी निपाह के कारण मृत्यु हो गई थी। टीम मृत व्यक्ति के घर पहुंची और घर और उसके आसपास, रिश्तेदार के घर और घर के पास के खेतों का दौरा किया जहां मृत व्यक्ति की आवाजाही हुई थी ।

चमगादड़ सर्वेक्षण टीम के सदस्य, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी सेंटर केरल इकाई के वैज्ञानिक डॉ. बालासुब्रमण्यम के नेतृत्व में चार सदस्यीय टीम कुट्टयाडी पहुंची। टीम में हनुल ठुकराल, एम. संतोष कुमार और गजेंद्रसिंह हैं।

मृत व्यक्ति के घर और आसपास का निरीक्षण करने के बाद टीम ने पास के बगीचे में फलों के पेड़ों को भी देखा। टीम ने पास के परिवार के घर का दौरा किया और बीमारी की चपेट में आने से पहले मृत व्यक्ति के काम और अन्य विवरणों के बारे में पूछताछ की।

जिला चिकित्सा तकनीकी सहायक, कुट्टयाडी तालुक अस्पताल अधीक्षक, कुट्टयाडी, मारुथोंकरा पंचायत स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी, आशा कार्यकर्ता आदि टीम के साथ थे।

निपाह वायरस क्या है?
निपाह वायरस (NiV) एक ज़ूनोटिक वायरस है, जिसका अर्थ है कि यह जानवरों और लोगों के बीच फैल सकता है। चमगादड़, जिन्हें उड़ने वाली लोमड़ी भी कहा जाता है, प्रकृति में NiV के लिए जिम्मेदार हैं। चमगादड़ और ऐसे ही जानवरों द्वारा खाये हुए फलो से यह वाइरस फैलता है।
निपाह वायरस को सूअरों से लोगों में बीमारी पैदा करने के लिए भी जाना जाता है। NiV का संक्रमण एन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क की सूजन) से जुड़ा है और इससे हल्की से लेकर गंभीर बीमारी और यहां तक कि मृत्यु भी हो सकती है। एशिया के कुछ हिस्सों, मुख्य रूप से बांग्लादेश और भारत में इसका प्रकोप लगभग हर साल होता है।

निपाह वायरस के संक्रमण को उन क्षेत्रों में बीमार सूअरों और चमगादड़ों के संपर्क में आने से बचाकर रोका जा सकता है जहां वायरस मौजूद है। शोध से पता चला है कि कच्चे खजूर का रस नहीं पीना चाहिए जो संक्रमित चमगादड़ द्वारा दूषित हो सकता है।

Image courtesy : US Centers for Disease Control and Prevention