प्रकृति में निवेश

पर्यावरणीय संकटों से निपटने के लिये प्रकृति में निवेश पर बल

संयुक्त राष्ट्र समर्थित एक ताज़ा रिपोर्ट दर्शाती है कि जलवायु परिवर्तन, जैवविविधता और भूमि क्षरण, आपस में जुड़े इन संकटों से सफलतापूर्वक निपटने के लिये, मौजूदा समय से लेकर वर्ष 2050 तक, प्रकृति में कुल आठ ट्रिलियन डॉलर के निवेश की आवश्यकता होगी.

गुरुवार , 27 मई,2021 को जारी  ‘State of Finance for Nature’ शीर्षक वाली रिपोर्ट के मुताबिक, प्रकृति-आधारित समाधानों में वार्षिक निवेश में वर्ष 2030 तक तीन गुना और 2050 तक चार गुना बढ़ोत्तरी करनी होगी.

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की कार्यकारी निदेशक इन्गर एण्डरसन ने कहा कि जैवविविधता खोने की क़ीमत, वैश्विक अर्थव्यवस्था को हर साल कुल उत्पादन के 10 फ़ीसदी नुक़सान के रूप में चुकानी पड़ रही है.

उन्होंने आगाह किया कि अगर प्रकृति-आधारित समाधानों को पर्याप्त वित्त पोषण सुनिश्चित नहीं किया गया, तो इससे शिक्षा, स्वास्थ्य व रोज़गार सहित अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में, प्रगति हासिल करने की क्षमता प्रभावित हो सकती है.

“अगर हमने प्रकृति को अभी नहीं बचाया, तो हम टिकाऊ विकास को हासिल करने में सफल नहीं होंगे.”

यूएन पर्यावरण एजेंसी ने यह रिपोर्ट, विश्व आर्थिक मँच और अन्य साझीदार संगठनों के साथ मिलकर तैयार की है.

इस खाई को पाटने के लिये, साझीदार संगठनों ने सरकारों, वित्तीय संस्थाओं और व्यवसायों से, प्रकृति को आर्थिक मामलों में निर्णय-निर्धारण प्रक्रियाओं के केंद्र में रखने का आहवान किया है.

इसके तहत, कोविड-19 महामारी से टिकाऊ पुनर्बहाली को सुनिश्चित किये जाने के साथ-साथ, कृषि व जीवाश्म ईंधन सब्सिडी में आवश्यकता अनुरूप बदलाव लाने और अन्य आर्थिक व नियामक प्रोत्साहन उपायों की ज़रूरत को रेखांकित किया गया है.

निजी पूँजी अहम

प्रकृति में निवेश के ज़रिये के सर्वजन के स्वास्थ्य-कल्याण को सहारा देना, जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाना व रोज़गार का सृजन करना सम्भव है.

मगर, वैश्विक महामारी से उबरने के लिये, आर्थिक स्फूर्ति प्रदान करने वाले पैकेजों का महज़ ढाई फ़ीसदी ही इस मद में केंद्रित है.

इसके मद्देनज़र, निजी पूँजी की हिस्सेदारी बढ़ाने पर बल दिया गया है ताकि निवेश की कमी पर पार पाया जा सके.

साथ ही, उदाहरणस्वरूप, रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि वनों की पुनर्बहाली कार्रवाई में निवेश को संरक्षण उपायों के साथ जोड़ा जा सकता है.

वनों के प्रबन्धन, संरक्षण और बहाली जैसे समाधानों के लिये, वैश्विक स्तर पर वार्षिक 203 अरब डॉलर की ज़रूरत होगी.

बताया गया है कि निजी सैक्टर ने पहले ही इस क्रम में, अनेक पहलों को विकसित किया है. विशेषज्ञों ने कम्पनियों और संस्थाओं से प्रकृति-आधारित समाधानों में, वित्त पोषण और निवेश बढ़ाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया है.