युद्ध जैसी स्थिति का सामना कर रहे पंजाब के सीमावर्ती गांव

युद्ध जैसी स्थिति का सामना कर रहे पंजाब के सीमावर्ती गांव

अमृतसर, 30 सितम्बर | न तो कोई गोलीबारी हो रही है, न ही चेतावनी के सायरन बज रहे हैं और न ही लड़ाकू विमान बम गिरा रहे हैं। युद्ध नहीं हो रहा है, लेकिन पाकिस्तान से लगे पंजाब के सीमावर्ती इलाके में हजारों ग्रामीण पहले से ही युद्ध जैसी स्थिति का सामना कर रहे हैं।

पंजाब के सीमावर्ती जिलों तरनतारन, अमृतसर, फिरोजपुर, गुरदासपुर, पठानकोट और फाजिल्का के करीब चार लाख लोगों को उनके घर से निकालकर सुरक्षित जगह पर भेजा गया है।

फोटो : पंजाब के अटारी में 29 सितंबर को पाकिस्तान सीमा से लगे गांवों के लोग सुरक्षित स्थानों पर जाते हुए। (आईएएनएस)

भारतीय सेना द्वारा गुरुवार की रात नियंत्रण रेखा के पार सर्जिकल स्ट्राइक करने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने पर अधिकारियों ने इन सीमावर्ती जिलों के करीब 1000 गांवों को खाली करने का आदेश दिया है।

अमृतसर जिले के किसान सार्दुल सिंह ने आईएएनएस से कहा, “हमने काफी सामान और गृहस्थी की चीजें अपनी ट्रैक्टर ट्रॉली पर लाद ली हैं। अभी तक तय नहीं किया है कि हम कहां जाएंगे, लेकिन जाना पड़ेगा। हम उम्मीद करते हैं कि यह स्थिति जल्द समाप्त हो जाएगी। अगले दस दिन में खेत में खड़ी फसल कटने के लिए तैयार हो जाएगी।”

पाकिस्तान के साथ पंजाब की 553 किलोमीटर लंबी सीमा है, जो एक कांटेदार विद्युतीकृत तार से घिरी हुई है।

अंतर्राष्ट्रीय सीमा से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सिखों का पवित्र शहर अमृतसर भी युद्ध समेत किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए तैयार लग रहा है।

सीमावर्ती जिलों के अस्पतालों को आकस्मिक घटना के लिए कुछ बिस्तर खाली रखने को कहा गया है। पुलिस, चिकित्सा और अन्य आपातकालीन सेवाओं से जुड़े कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं।

सीमावर्ती इलाकों में गुरुवार और शुक्रवार को नदियों के पार स्थित गांवों के लोगों, बच्चों, बूढ़ों और उनके सामानों को सीमा सुरक्षा बल और सेना के जवानों द्वारा सुरक्षित स्थानों पर ले जाते देखा जा सकता है।

दक्षिण पश्चिम पंजाब के फाजिल्का जिले की उपायुक्त इशा कालिया ने कहा, “घबराहट की कोई बात नहीं है। ऐहतियाती कदम के रूप में गांवों को खाली कराया जा रहा है। हटाए गए लोगों को ठहराने के लिए समुचित व्यवस्था की जा रही है।”

कालिया ने अपने जिले में विस्थापित लोगों के लिए बने कई राहत केंद्रों का दौरा किया और लोगों से बातचीत की।

ग्रामीणों ने कहा कि उनके बीच कुछ दहशत और चिंता है।

1965 और 1971 के युद्ध के गवाह और फिरोजपुर जिले के निवासी वारयम सिंह ने आईएएनएस से कहा, “वो दिन बुरे थे। लेकिन, पंजाबियों ने हमेशा जंगों का बहादुरी के साथ सामना किया। युद्ध नहीं देखने वाली नई पीढ़ी के लोगों के लिए लोगों को इस तरह हटाते देखना नई बात है। अनेक युवा इस बात को लेकर चिंतित हैं कि क्या होगा।’

कुछ घंटों के अंदर ही 45 राहत शिविरों में अलग-अलग सैकड़ों लोगों के ठहरने की व्यवस्था की गई। विस्थापित लोगों ने कुव्यवस्था की शिकायत की।

विस्थापित लोगों के लिए भोजन और पानी की व्यवस्था के लिए स्थनीय गुरुद्वारे और सामाजिक संगठन जल्द ही सक्रिय हो गए।

सामानों के साथ गांव खाली करने वाले लोगों ने सीमावर्ती इलाके के उपलब्ध परिवहन के हर तरह के साधनों का इस्तेमाल सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए किए। लोगों को ले जाने के लिए अधिकारियों ने भी कुछ स्थानों पर बसों की व्यवस्था की थी।

गोला बारूद के साथ सेना के काफिले गुरुवार और शुक्रवार को पाकिस्तान सीमा की ओर जाते देखे गए।         –आईएएनएस