अन्नू रानी

रूढ़ीवादी परिवार की बाधाओं को पार कर ओलंपिक में भाग लेने वाली अन्नू रानी

अन्नू रानी (Annu Rani) भाला फेंकने वाली (javelin thrower)पहली भारतीय महिला और टोक्यो 2020 के लिए क्वालीफाई करने वाली तीसरी जेवलिन थ्रोअर हैं।

महिलाओं की भाला फेंक स्पर्धा में भारत की ध्वजवाहक अन्नू रानी (Annu Rani) ने विश्व रैंकिंग के माध्यम से टोक्यो 2020 के लिए अपना स्थान पक्का किया है। भारतीय, वर्तमान में टोक्यो रैंकिंग में 18वें नंबर पर हैं।रानी, नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) और शिवपाल सिंह (Shivpal Singh) के बाद 23 जुलाई से शुरू होने वाली टोक्यो 2020 के लिए क्वालीफाई करने वाली तीसरीं और पहली भारतीय महिला जेवलिन थ्रोअर हैं।28 वर्षीय ने मार्च, 2021 में पटियाला में इंडियन ग्रां प्री के दौरान 63.24 मीटर की दूरी तक भाला फेंककर राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया था।आइये, एक नजर डालते हैं उनके सफर पर:

भाई ने पहचानी उनकी प्रतिभा

अन्नू रानी (Annu Rani) का जन्म उत्तर प्रदेश के बहादुरपुर गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। उनका भाई उपेंद्र, रानी का सबसे बड़ा समर्थक था।

दिनेश चंद शर्मा

दरअसल, एक क्रिकेट मैच के दौरान सबसे पहले भाई ने ही उनकी प्रतिभा को पहचाना। उन्होंने महसूस किया कि रानी के हाथों में फेंकने की ताकत बहुत बेहतर है। क्योंकि, वह मैदान की सीमा पर क्षेत्ररक्षण करते समय गेंद को आसानी से फेंक सकती थी।

उनका भाई खुद लंबी दूरी का धावक था और उन्होंने रानी की शुरुआती यात्रा में उसका साथ दिया।

बाधाओं को किया पार

उपेंद्र चाहते थे कि रानी भाला फेंक ले, लेकिन रूढ़िवादी दृष्टिकोण रखने वाला उनका परिवार अपनी बेटी के एथलीट बनने के पक्ष में नहीं था।

हालांकि, भाई के सहयोग से अन्नू रानी (Annu Rani)  ने खाली खेतों में गन्ने के डंठल फेंक कर खेल का प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया। जैसे ही वो खेल को लेकर गंभीर हो गई, तो उनके पिता अमर पाल सिंह चिंतित होने लगे।

उन्होंने Scroll.in को बताया, “मैंने उन्हें (अमर पाल सिंह को) खेल को चुनने के लिए मनाने की बहुत कोशिश की। मैंने बहुत रोई और उनसे विनती की। क्योंकि मैं घर में सबसे छोटी थी और सभी मुझे पसंद करते थे, आखिरकार, उन्होंने मुझे अनुमति दे दी। शायद उन्होंने सोचा कि मैं थोड़ा-बहुत खेलने के बाद घर लौट आऊंगी।”

सलाहकार और पहले कोच

जल्द ही रानी जूनियर स्तर पर सफल होने लगीं। उनके प्रदर्शन ने 2010 राष्ट्रमंडल खेलों के कांस्य पदक विजेता से कोच बने काशीनाथ नाइक (Kashinath Naik) का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने रानी को अपनी छत्रछांया में ले लिया।

काशीनाथ ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “मैं उसके भाई को समझाने में कामयाब रहा, लेकिन उसके पिता से बात करने और यह बताने के लिए कि उनकी बेटी सुरक्षित हाथों में है मुझे बहादुरपुर जाना पड़ा।”

इसके बाद वह 2013 में पहली बार कोच नाइक के कैंप में शामिल हुईं। उन्होंने रानी के दिमाग में ओलंपिक सपना बोया और उन्हें सुल्तान, दंगल और सचिन: ए बिलियन ड्रीम्स जैसी प्रेरक फिल्में देखने के लिए कहा।
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विश्व स्तर पर सबसे पहले हासिल की ये उपलब्धियां
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रानी 2019 में विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप के फाइनल के लिए क्वालीफाई करने वाली भारत की पहली महिला भाला फेंक खिलाड़ी बनीं।

उन्होंने अंतिम स्पर्धा के लिए जगह बनाने के लिए दूसरे दौर में 62.43 मीटर भाला फेंककर 62.34 मीटर का अपना ही राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ दिया था।

वहीं, पहले दौर में उनका थ्रो 57.05 मीटर था। जबकि, तीसरा और अंतिम थ्रो 60.50 मीटर था। वह ग्रुप A में तीसरे स्थान पर रहीं और क्वालीफिकेशन राउंड के पांचवें सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के रूप में फाइनल में जगह बनाई।

*खेल जगत के इन नायकों से प्रेरित *

रानी अपनी फिटनेस पर खास ध्यान देती हैं। वह पुर्तगाली फुटबाल खिलाड़ी क्रिस्टियानो रोनाल्डो (Cristiano Ronaldo) और माइकल फेल्प्स के प्रशिक्षण कार्यक्रमों का अनुसरण करती हैं। वह उनके अनुशासन और जीवन की कहानियों से प्रेरणा लेती हैं”.

courtesy : olympics.com