सैनिकों को प्रदान किए गए राष्ट्रपति के स्टैंडर्स

जैसलमेर (राजस्थान), 16 मार्च (जनसमा)। राजस्थान का जैसलमेर सैनिक केन्द्र बुधवार को ऐतिहासिक क्षण का गवाह बना, जब सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की ओर से 75 बख्तरबंद रेजिमेंट और 43 बख्तरबंद रेजिमेंट को राष्ट्रपति के स्टैंडर्स प्रदान किए। दोनों रेजिमेंट ने भारतीय सेना की सर्वोच्च परंपराओं के अनुसार देश में निर्मित अर्जुन टैंक पर जबरदस्त तालमेल दिखाते हुए अश्वारोही परेड का आयोजन किया। इस ऐतिहासिक क्षण की यादगार में सेना प्रमुख ने “विशेष कवर” का भी विमोचन किया।

अपने संबोधन में सेना प्रमुख ने दोनों रेजिमेंटो को बधाई देते हुए कहा कि इस सम्मान (राष्ट्रपति का स्टैंडर्ड) से आपकी जिम्मेदारी बढ़ जाती है और मेरा निश्चित रूप से यह मानना है कि आप की रेजिमेंट को जो भी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी उसके हर कार्य को पूरा करने में आप अपनी क्षमताओं से भी अधिक कार्य करेंगे।

दोनों रेजिमेंटों की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए जनरल दलबीर सिंह ने कहा कि 43 और 75 बख्तरबंद रेजिमेंट का एक समृद्ध इतिहास है जो सच्ची वीरता, बहादुरी और पेशेवर दक्षता से परिपूर्ण है और भारतीय सेना की सर्वोच्च परंपराओं को सुशोभित करता है। उन्होंने कहा कि पूरे देश से विभिन्न जातियों और धर्मों के मेहनती और दृढ़ संकल्प वाले सैनिकों वाली दोनों रेजिमेंट अपने आप में एकता की भावना को दर्शाती हैं।

उल्लेखनीय है कि 75 बख्तरबंद रेजिमेंट की स्थापना लेफ्टिनेंट कर्नल विजय सिंह (जो बाद में लेफ्टिनेंट जनरल बने) की कमान के अधीन 1972 में की गई थी। बख्तरबंद रेजिमेंट के स्क्वाड्रनों ने 1971 के भारत-पाक युद्ध में भाग लिया। 75 बख्तरबंद रेजिमेंट की यह विशिष्ट पहचान है कि यह ऐसी पहली यूनिट है जिसकी स्थापना पाकिस्तान के कब्जे में किए गए क्षेत्र सकना (पाकिस्तान की सीमा के अंदर 26 किलोमीटर) में 12 मार्च, 1972 में की गई थी।रेजिमेंट के कलर्स हैं बॉटल ग्रीन के ऊपर केनरी येलो। रेजिमेंट का आदर्श वाक्य है “साहसम विजयते” जिसका अर्थ है “साहस की विजय” होती है।

43 बख्तरबंद रेजिमेंट की स्थापना लेफ्टिनेंट कर्नल बी.एम. कपूर (जो बाद में लेफ्टिनेंट जनरल बने) की कमान में 1981 में की गई थी। 43 बख्तरबंद रेजिमेंट ऐसी पहली बख्तरबंद रेजिमेंट है जिसे सबसे पहले भारत में निर्मित एमबीटी अर्जुन से सुसज्जित किया गया था। रेजिमेंट के कलर है स्काई ब्लू और नेवी ब्लू। स्काई ब्लू असीमितता को दर्शाता है, जबकि नेवी ब्लू निर्भयता का प्रतीक है। रेजिमेंट आदर्श वाक्य है “युद्धस्व विगत ज्वार” जिसका अर्थ है “शांत और दृढ़ संकल्प मन से लड़ो”।

75 बख्तरबंद रेजिमेंट और 43 बख्तरबंद रेजिमेंट को यह सम्मान उनकी स्थापना के बाद से ही उनके समर्पित और सराहनीय सेवाओं की पहचान के रूप में दिया गया है। यह रेजिमेंट भारतीय बख्तरबंद कोर की सीमा पर तैनात अग्रिम मोर्चे की यूनिटों में से एक हैं। दोनों रेजिमेंट के बहादुर सैनिकों द्वारा की गई कड़ी मेहनत और बलिदान को मान्यता देते हुए विभिन्न पुरस्कार और पदक प्रदान किए गए हैं। यह भव्य आयोजन अभी हाल में विकसित जैसलमेर युद्ध संग्रहालय की पृष्ठभूमि में आयोजित किया गया। इस संग्रहालय में भारतीय सशस्त्र सेनाओं की बहादुरी और बलिदानों का प्रदर्शन किया गया है। इस समारोह में लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत जनरल आफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, दक्षिणी कमान, अनेक सेवारत और सेवानिवृत्त वरिष्ठ सैनिक अधिकारियों और गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया।