पीयूष गोयल ने खनन निगरानी प्रणाली (एमएसएस) का शुभारंभ किया

पीयूष गोयल ने खनन निगरानी प्रणाली (एमएसएस) का शुभारंभ किया

नई दिल्ली, 15 अक्टूबर (जस)। केन्द्रीय विद्युत, कोयला, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा तथा खनन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पीयूष गोयल ने शनिवार को नई दिल्ली में खनन निगरानी प्रणाली (एमएसएस) की शुरूआत की। इस अवसर पर उन्होंने 13 राज्यों में मीडिया के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग लिंक के माध्यम से बातचीत की और एमएसएस के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

एमएसएस एक उपग्रह आधारित निगरानी प्रणाली है, जिसका उद्देश्य जनता की भागीदारी के माध्यम से स्वचालित रिमोट सेंसिंग खोज प्रौद्योगिकी के उपयोग से अवैध खनन गतिविधियों का पता लगाकर उन्हें रोकना और एक जिम्मेदार खनिज प्रशासन की स्थापना करना है।

खान मंत्रालय ने देश में अंतरिक्षि प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए अवैध खनन गतिविधियों को रोकने के लिये भारतीय खान ब्यूरो (आईबीएम) के माध्यम से एमएसएस विकसित किया है। इसे विकसित करने में भास्कराचार्य इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस एप्लीकेशंस एण्ड जियो – इनफॉर्मेटिक्स (बीआईएसएजी) गांधीनगर और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का सहयोग लिया गया है।

डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत विकसित किया गया, एमएसएस दुनिया में विकसित ऐसी पहली निगरानी प्रणाली है जिसमें अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग किया गया है। अवैध खनन गतिविधियों की निगरानी करने की वर्तमान प्रणाली स्थानीय शिकायतों और अपुष्ट जानकारियों पर आधारित है। इस तरह की शिकायतों पर की गई कार्रवाई की निगरानी के लिए कोई भी मजबूत प्रणाली उपलब्ध नहीं है।

शासन और विकास में अंतरिक्ष आधारित उपकरणों और अनुप्रयोगों को बढ़ावा देने के लिए नई दिल्ली में 7 सितंबर, 2015 को आयोजित राष्ट्रीय बैठक को संबोधित करने हुए भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सुशासन को अर्जित करने के लिए अंतरिक्ष विज्ञान की भूमिका पर जोर देते हुए सभी विभागों से कहा था कि वे अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के प्रभावी इस्तेमाल का पता लगायें।

प्रधानमंत्री के निर्देशों के बाद, एमएसएस में खनन पट्टों के खसरा मानचित्रों को भू-संदर्भित किया गया है। भू-संदर्भित खनन पट्टों कोकार्टोसैट और यूएसजीएस से प्राप्त नवीनतम उपग्रह रिमोट सेंसिंग दृश्यों पर सुपरइंपोज किया जाता है। यह प्रणाली मौजूदा खनन सीमा के आसपास के 500 मीटर के क्षेत्र की किसी भी असामान्य गतिविधि की जांच करती है क्योंकि ऐसी गतिविधियां अवैध खनन की हो सकती हैं। अगर ऐसी कोई भी विसंगति पाई जाती है तो इसकी ट्रिगर के रूप में जानकारी मिलती है।