Glaciers

क्या 80 साल बाद गंगा और ब्रह्मपुत्र जैसी नदियां सूख जाएंगी?

AIR tweetक्या आज से 80 साल बाद गंगा और ब्रह्मपुत्र जैसी नदियों में पानी कम हो जाएगा या उनके स्रोत सूख जाएंगे।

वैज्ञानकों की माने तो ऐसा हो सकता है और इसका कारण है ग्लोबल वार्मिंग।

इस संबंध में जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंदू कुश हिमालयक्षेत्र में ग्लोबल वार्मिंग कम नहीं होने पर हिमालय के ग्लेशियरों का दो तिहाई हिस्सा सन् 2100 तक पिघल सकता है।

यहां तक ​​कि ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री तक सीमित करने के पेरिस समझौते को कारगर ढंग से लागू किया जाए तब भी एक तिहाई क्षेत्र के ग्लेशियरों के पिघलने को रोकना आसान नहीं होगा।

यह जानकारी इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट संस्था ICIMOD द्वारा  काठमांडू में जारी  मूल्यांकन रिपोर्ट में दी गई है।

इस संबंध में आकाशवाणी ने भी ट्वीट कर फोटो भी जारी किया है।

हिंदू कुश हिमालय क्षेत्र में भारत के अलावा अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, चीन, म्यांमार, नेपाल और पाकिस्तान आठ देश हैं जो इस संस्था के सदस्य हैं।

क्षेत्रीय सदस्य देशों की सेवा करने वाला यह एक क्षेत्रीय अंतर सरकारी शिक्षण और ज्ञान साझाकरण केंद्र है और इसका कार्यालय काठमांडू नेपाल में है।

हिंदू कुश हिमालयन 3,500 किमी तक फैला हुआ है। यह दस बड़ी एशियाई नदी प्रणालियों का स्रोत है जिनमें आमू दरिया, सिंधु, गंगा,  ब्रह्मपुत्र (Yarlungtsanpo)  इरावदी ( Irrawaddy), सल्वेन (Nu), मेकांग(Lancang), यांग्त्से (Jinsha),, येलो रिवर (Huanghe),  और तरिम (Dayan) हैं।

ये सभी नदियां इस क्षेत्र की लगभग 210.53 मिलियन आबादी के लिए पानी, पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं और आजीविका का स्रोत है।

इन नदियों  से 1.3 बिलियन लोगों को पानी मिलता है, जो दुनिया की आबादी का पांचवा हिस्सा है।