Delhi Metro

दिल्ली मेट्रो के तीन कॉरीडोर के लिए फंडिंग पैटर्न में संशोधन की मंजूरी

केन्द्रीय मंत्रिमंडल (Union Cabinet) ने चौथे चरण के दिल्ली मेट्रो (Delhi Metro) के तीन प्राथमिकता कॉरीडोर (corridors )  (i) एरोसिटी से तुगलकाबाद   (ii) आर.के. आश्रम से जनकपुरी (पश्चिम) और (iii) मुकुंदपुर-मौजपुर के लिए फंडिंग पैटर्न  (funding pattern) में संशोधन की मंजूरी दे दी।

प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) की अध्यक्षता में बुधवार, 11 दिसंबर,2019 को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में चौथे चरण के दिल्ली मेट्रो के तीन प्राथमिकता कॉरीडोरों के लिए वित्तपोषण स्वरूप में संशोधन को मंजूरी दे दी है।

इसके संबंध में जमीन की कीमत में साझेदारी भारत सरकार और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार के बीच 50:50 के अनुपात में होगी।

यह साझेदारी मेट्रो (Delhi Metro) रेल नीति, 2017 के संशोधनों के आधार पर है, जो 6 सितंबर, 2019 के उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुरूप केवल दिल्ली में लागू होगी।

कुल परियोजना लागत 24,948.65 करोड़ रुपये की  में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया गया है।

भारत सरकार का योगदान मौजूदा 4,154.20 करोड़ रुपये से बढ़कर 4,643.638 करोड़ रुपये हो गया है, जिसके फलस्वरूप 489.438 करोड़ रुपये की शुद्ध बढ़ोतरी हुई है।

डीएमआरसी द्वारा पुनर्भुगतान किए जाने वाले द्विपक्षीय/बहुपक्षीय एजेंसियों से प्राप्त बाहरी ऋण की कुल रकम मौजूदा 11,462.60 करोड़ रुपये से बढ़कर 12,930.914 करोड़ रुपये हो गई है। इस प्रकार कुल 1,468.314 करोड़ रुपये की शुद्ध बढ़ोतरी हुई है।

पृष्ठभूमिः

दिल्ली मेट्रो (Delhi Metro)  चरण-IV परियोजना के तीन प्राथमिकता कॉरीडोरों को भारत सरकार ने मार्च 2019 में मंजूर किया था, जिसकी कार्यपूर्णतः लागत 24,948.65 करोड़ रुपये थी।

वित्त पोषण के स्वरूप को मेट्रो रेल (Delhi Metro) नीति, 2017 के प्रावधानों के अनुरूप रखा गया।

अप्रैल 2019 में जीएनसीटीडी ने डीएमआरसी को निर्देश दिया था कि जब तक आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय उनके द्वारा स्वीकृति के आधार पर लागत की साझेदारी के स्वरूप में संशोधन नहीं कर देता, तब तक स्वीकृत कॉरीडोरों पर काम शुरू नहीं किया जाए।

उच्चतम न्यायालय के दखल के बाद जुलाई 2019 में कार्य शुरू किया गया।

उच्चतम न्यायालय ने 6 सितंबर, 2019 के अपने आदेश में मेट्रो रेल नीति, 2017 के प्रावधानों को वैध ठहराया था।

ये प्रावधान परिचालन नुकसानों को सहन करने, बाहरी ऋण के पुनर्भुगतान तथा स्पेशल पर्पज व्हीकल (इस मामले में डीएमआरसी) के विफल होने के मामले में राज्य द्वारा मौद्रिक उतार-चढ़ाव लागत से सम्बंधित थे।

उच्चतम न्यायालय ने निर्देश दिया है कि केवल दिल्ली के मामले में नीति के संशोधन लागू किए जाएं और जमीन की कीमत को केन्द्र सरकार तथा जीएनसीटीडी के बीच 50:50 के अनुपात में वहन किया जाए।

मेट्रो रेल नीति, 2017 के सम्बंधित पैराग्राफ में भी तदनुसार संशोधन किया गया है।

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