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जहां प्लास्टिक बॉटल्स बीनने वाली पर लगा 1.50 लाख रु का जुर्माना

वन्दना शर्मा ——

दुनिया में एक ऐसा देश भी है जहां प्लास्टिक बॉटल्स का कूडा बीनने वाली एह महिला पर भी जुर्माना लगाया जाता है, वह भी सौ-दो सौ नहीं, पूरे 1.50 लाख रुपयों से ज्यादा का । थोड़ा अजीब लगा न हमें , क्योंकि एक कूड़ा बीनकर पेट पालने वाली से 2000 यूरो का फाइन लेना कहाँ का न्याय है?

…….पर ऐसा हुआ जर्मनी के शहर म्युनिख में। हुआ यूँ कि एक औरत प्लास्टिक की बोतलें इकट्ठी करके उन्हें बेच कर अपनी पेंशन का इंतज़ाम किया करती थी। वहां पर प्लास्टिक या बॉटल्स इकट्ठी करके बेचने पर पैसे मिलते हैं। एक औरत स्टेशन पर कूड़े के डब्बे में से प्लास्टिक बॉटल्स निकाल रही थी। निकालते समय कुछ कूड़ा भी इधर-उधर बिखर ही जाता है। जर्मनी में पब्लिक प्लेसेज में गंदगी नहीं की जाती है और स्वच्छता का बहुत ध्यान रखा जाता है। बॉटल्स इकट्ठी करने के दौरान पुलिस वालों ने उसे देखा और ऐसा करने से मना किया। पुलिस वालों ने उससे कहा कि ऐसा करना दूसरे लोगों की ज़िन्दगी से खिलवाड़ है। ये हाइजेनिक नहीं है और आम लोगों को इससे स्वास्थ्य संबंधी खतरा होसकता है।

खबर को समझने के लिए मिलता-जुलता फोटो      ( फोटो   : आईएएनएस)

जब दूसरी बार भी पुलिस वालों ने उसे ऐसा करते हुए देखा तो सीधा फाइन लगा दिया, वह भी दो हजार यूरो का। अगर इसे रुपयों से तुलना करें तो फाइन की राशि आज की तारीख में होगी एक लाख 54 हजार रुपये के बराबर।

भारतीयों की नज़र में ये गरीब पर जुल्म हो सकता है, पर वहां नहीं है। वहां हर इंसान टेक्स देता है, चाहे अमीर हो या गरीब। अपनी सरकारी पेंशन पाने के लिए भी सभी को कुछ न कुछ काम करना होता है और सरकारी सुविधाओं का फायदा उठाने के लिए सरकार को टेक्स देना होता है।

हर कोई वहां अपने लिए काम करते हुए भी देश की इकॉनोमी में योगदान देता है। हमें भी सोचना होगा कि गरीब आदमी सिर्फ तब तक है जब तक वो अपने स्तर को ऊपर उठाने के लिए प्रयास नहीं करता। आराम से सुविधाएं मिल जाती हैं तो गरीब क्यों मेहनत करना चाहेगा, यह बात सब्सीडी देने वालों और पाने वालों को सोचनी होगी।

गरीब को भी यह सोचना होगा कि वह हमेशा गरीब रहना चाहता है या मेहनत करके आगे बढना चाहता है। अगर वह गरीब है तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह देश के लिए कुछ नहीं कर सकता? वह बहुत कुछ देश के विकास में अपना योगदान दे सकता है बशर्ते की वो मुफ्त का पाने के साथ ही कुछ करके भी दिखाये। इससे उसका आत्मविश्वास और देश का सम्मान बढेगा। जर्मनी की यह घटना यही तो सबक देती है।