Cooking

गैस को हाँ, चूल्हा को ना

उपरोक्त शीर्षक कोई मुहावरा नहीं है बल्कि हकीकत है। केंद्र सरकार की उज्जवला योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में बी.पी.एल. परिवारों को दिए जा रहे गैस कनेक्शन के बाद हितग्राही अब रसोई गैस में ही खाना बनाने लगे हैं। रसोई गैस कनेक्शन के पहले वे मिट्टी के चूल्हा में लकड़ी और कण्डों का उपयोग कर खाना बनाते थे। लेकिन अब अब से उज्जवला योजना के तहत रसोई गैस के कनेक्शन प्राप्त हुये हैं अधिकांश हितग्राही चूल्हा का उपयोग केवल पानी गरम करने के लिए करते हैं। कुछ हितग्राहियों ने तो मिट्टी के चूल्हे भी नष्ट कर दिए हैं।

इंदौर से 25 किलोमीटर दूर जगजीवन ग्राम में जब उज्जवला योजना के हितग्राहियों से चर्चा की गई तो गांव की ही श्रीमती सपना बाई ने बताया कि अगस्त 2016 में उन्हें रसोई गैस का कनेक्शन मिला, तभी से वह गैस से ही खाना बनाती  हैं।  गैस से खाना जल्दी बन जाता है तथा चूल्हा से होने वाले धुएं से भी मुक्ति मिल गई है। उन्होंने बताया कि धुआं से घर की दीवाल और छत काली हो जाती थी। धुआं से आंखों और स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता था अब घर भी साफ सुथरा रहेगा। उन्होंने बताया कि गैस की सब्सिडी प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत खोले गए खाते में मिल गई है।

जगजीवन ग्राम की ही एक अन्य हितग्राही श्रीमती लक्ष्मी बाई चौहान भी रसोई गैस मिलने के बाद बेहद प्रसन्न हैं। उन्होंने भी स्वीकार किया कि रसोई गैस का कनेक्शन मिलने से उन्हें काफी सुविधा हो गई है। लकड़ी के लिए अब उन्हें जंगल नहीं जाना पड़ता। श्रीमती लक्ष्मी बाई ने तो अपने घर में पहले उपयोग में लाये जाने वाले मिट्टी के चूल्हे को भी नष्ट कर दिया है। इन दोनों हितग्राहियों को रसोई गैस के उपयोग और बचत करने की भी जानकारी दी गई। उन्हें बताया गया कि चूल्हा को हमेशा गैस सिलेंडर की ऊंचाई से ऊपर प्लेटफार्म बनाकर या टेबल पर रखें और गैस का उपयोग करने के बाद रेगुलेटर को बंद कर दे। केंद्र सरकार की बी.पी.एल.  परिवारों को धुएं से मुक्ति दिलाने के लिए शुरू की गई उज्जवला योजना वास्तव में हितग्राहियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में तो रसोई गैस को प्राप्त करना वैसे ही काफी मुश्किल भरा काम होता है लेकिन इस योजना के शुरू हो जाने से रसोई गैस का कनेक्शन नि:शुल्क मिलने लगा है।