Chambal Besin

पूर्वी राजस्थान नहर को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने की मांग

करौली.धौलपुर सांसद डॉ. मनोज राजोरिया ने मंगलवार को लोकसभा में पूर्वी राजस्थान की महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजना ‘पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना’ को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने की मांग की है।

उन्होंने प्रधानमंत्राी से मांग की कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना, राजस्थान के पूर्वी भाग करौली एवं धौलपुर के किसानों के लिए अति महत्वपूर्ण जीवनदायनी परियोजना है। इसको राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिये जाने से इस परियोजना पर शीघ्र कार्य प्रारम्भ हो सकेगा।

डॉ. मनोज राजोरिया ने चम्बल-पांचना-जगर बांध बांध लिफ्ट परियोजना को भी शीघ्र चालू करने की मांग की ।

डॉ. राजोरिया ने इस परियोजना को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्राी से शीघ्र बजट आवंटन करने हेतु अनुरोध किया ।

ज्ञात रहे कि राजस्थान सरकार ने इस प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय दर्जा देने के लिए जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय, से भी अनुरोध किया है।

यह परियोजना चम्बल बेसिन की पार्वती एवं कालीसिंध सहायक नदियों के सरप्लस यानी अतिरिक्त पानी को बनास, गम्भीर एवं पार्वती बेसिन में हस्तान्तरण करते हुए धौलपुर तक ले जाने की परियोजना है।

इसमें चम्बल.पांचना. जगर बांध परियोजना भी सम्मिलित  है।

चम्बल की सहायक नदियों पार्वती, कालीसिंध, मेज एवं चाकन में प्रतिवर्ष लगभग 5060 मिलियन घन मीटर पानी उपलब्ध होता है जो व्यर्थ ही बह कर समुद्र में चला जाता है।

कालीसिंध एवं चम्बल नदी के जंक्शन पाइन्ट के डाउन स्ट्रीम पर इस पानी को समुद्र में जाने से रोका जाना चाहिए एवं इंट्रा बेसिन जल हस्तांतरण योजना यानी पूर्वी राजस्थान केनाल परियोजना का काम तुरंत शुरू किया जाना चाहिए।

यह पानी जुलाई, अगस्त एवं सितम्बर माह में ही उपलब्ध होता है।

चम्बल बेसिन  के इस सरप्लस पानी को समुद्र में जाने से रोक कर कम जल उपलब्धता वाले नदी बेसिन (बनास, गम्भीर एवं पार्वती बेसिन)  तक पहुंचाया जाना चाहिए।

विभिन्न जिलों के जल संसाधन विभाग के छोटे एवं बडे बांधों एवं राह में आने वाले पंचायत तालाबों को भरने एवं पेयजल उपलब्ध कराने हेतु यह परियाजना प्रस्तावित है।

इस परियोजना के द्वारा लगभग 13 जिलों की पेयजल आपूर्ति एवं लगभग 2 लाख हेक्टेयर नये सिंचित क्षेत्र व 2.3 लाख हेक्टेयर विद्यमान सिंचित क्षेत्र की सिंचाई किया जाना प्रस्तावित है।

इस प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय दर्जा मिलने से बजट की कमी नहीं रहेगी तथा कार्य द्रुतगति से होगा।