हिमाचल के सेबों को अच्छे दिन का इंतजार

===विशाल गुलाटी===

शिमला, 29 अगस्त | आकार में छोटे और कम रसदार सेब इस साल हिमाचल प्रदेश के लिए निराशा की वजह बने हैं। लेकिन, विशेषज्ञों का मानना है कि सितम्बर महीने के मध्य में जब उंची पहाड़ियों पर स्थित बागानों में फलों को तोड़ा जाएगा तो स्थिति अच्छी हो जाएगी।

वाई. एस. परमार बागबानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के पूर्व संयुक्त निदेशक एस. पी. भारद्वाज ने आईएएनएस से कहा, “इस बार सेब के साथ गुठलीदार फलों (खुबानी और आड़ू आदि) की भी व्यापक और असामान्य ढंग से बड़ी क्षति हुई है, क्योंकि इन फलों का जब विकास हो रहा था तब गत अप्रैल और मई महीने में ओलावृष्टि हुई थी जिससे इन्हें नुकसान पहुंचा।”

उन्होंने बताया कि शिमला, मंडी और कुल्लु जिलों की मध्य पहाड़ियों में इन फलों की बड़े पैमाने पर क्षति की खबरें मिलीं हैं।

भारद्वाज ने कहा, “नुकसान के कारण फलों के विकास पर असर पड़ा। कम सर्दी और मानसून के दौरान कम बारिश से भी फसल प्रभावित हुई।”

रिपोर्ट के मुताबिक, हिमाचल की मध्य पहाड़ियों में स्थित फलों के प्रमुख क्षेत्रों जैसे शिमला जिले के कोटखाई, बलसान, किआरी, चिरगांव, मरोआग और रोहरू, मंडी जिले के करसोग, चुराग और सेरी तथा कुल्लु जिले के अनी और दलाश में ओलावृष्टि से सेब की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई।

भारद्वाज के अनुसार, पौधे पहले खुद की क्षति दुरुस्त करते हैं और इसके बाद वे अपने फलों को उसका असली आकार पाने में मदद करते हैं। यही वजह है कि इस बार फल छोटे और कम रसीले हैं जो उपभोक्ताओं की नजरों में सही नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि इस बार फलों के उत्पादन में 50 से 60 प्रतिशत की कमी भी हुई है।

अच्छी बात यह है कि 8000 फीट की उंचाई पर स्थित सेब के बगानों के सेबों का विकास मानक स्तर के अनुरूप है। इन बगानों के सेब अभी पक रहे हैं।

शिमला जिले के थानेदार के रहने वाले एक सेब उत्पादक संजीब खिमटा ने कहा, “उंची पहाड़ियों पर स्थित बगानों में सेब तोड़ने के काम 15 सितम्बर से शुरू होगा। वहां ओलावृष्टि से फलों को कोई नुकसान नहीं हुआ है।”

हिमाचल प्रदेश देश के बड़े सेब उत्पादक क्षेत्रों में एक है। यहां के 90 प्रतिशत उत्पादों की खपत घरेलू बाजारों में होती है। राज्य की फल अर्थव्यवस्था 3500 करोड़ रुपये की है जिसमें अकेले सेब की हिस्सेदारी 89 प्रतिशत है।

राज्य की बागवानी मंत्री विद्या स्टोक्स खुशी से कहती हैं कि किसानों को रिकार्ड कीमतें मिल रही हैं। स्टोक्स खुद भी सेब उत्पादक हैं।

उन्होंने कहा, “हालांकि इस साल उत्पादन कम हुआ है, लेकिन, हमारे किसानों को पिछले साल की तुलना में 20 से 25 प्रतिशत अधिक कीमतें मिल रही हैं।”

एक फल उत्पादक ने कहा कि शिमला जिले के बगानों में सबसे अच्छी गुणवत्ता वाले सेबों की एक 20 किलोग्राम की पेटी का दाम 1800 से 2200 रुपये है। यह पिछले साल की तुलना में 500 रुपये अधिक है।

सेब के अलावा नाशपाती, आड़ू, खुबानी, चेरी, कीवी, स्ट्रॉबेरी, आलूबुखारा और बादाम राज्य की व्यावसायिक फसलें हैं।    –आईएएनएस