हिमाचल सरकार आऊटसोर्स कर्मियों के लिए बनाएगी नीति : वीरभद्र

शिमला, 16 फरवरी (जनसमा)। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने बुधवार को यहां होटल पीटरहॉफ में आऊटसोर्स कर्मचारी संघ द्वारा आयोजित एक समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि राज्य सरकार आऊटसोर्स कर्मियों की समस्याओं से भलीभांति परिचित है और आश्वासन दिया कि उनके लिए निश्चित रूप से एक नीति बनाई जाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इन कर्मियों की मांग यथार्थ है और इस पर शीघ्र ही सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि आरम्भ में सरकार की नीतियों व कार्यक्रमों के प्रसार के उद्देश्य से सीमित अवधि के लिए आऊटसोर्स किया गया था, लेकिन उन्हें जीवन भर आऊटसोर्स आधार पर रखना न्यायोचित नहीं है।

वीरभद्र ने कहा कि आऊटसोर्सिंग का चलन न केवल भारतवर्ष, बल्कि अन्य देशों में भी है। राज्य सरकार समाज के सभी वर्गों की समस्याओं को लेकर संवेदनशील है। उन्होंने कहा कि जल वाहकों की नियुक्ति महज स्कूलों में पानी ढोने के लिए नहीं की गई थी, बल्कि गरीब से गरीब व्यक्ति को रोजगार प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी। उन्होंने कहा कि प्रत्येक स्कूल में पानी का नल है, लेकिन जल वाहकों की नीति को लेकर हमारी सरकार का विश्वास गरीबों, विधवाओं, दिव्यांगजनों को रोजगार प्रदान करने पर आधारित है। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि सरकार आऊटसोर्स कर्मियों की शिकायतों को लेकर गम्भीर है और निश्चित तौर पर इनका समाधान करेगी।

उन्होंने कहा कि आज हिमाचल विकसित पहाड़ी राज्य का मॉडल है और कर्मचारियों के कठिन परिश्रम के कारण यह संभव हो पाया है। उन्होंने कहा कि राज्य के अस्तित्व में आने के दौरान हिमाचल में मुश्किल से कोई सड़क और बिजली थी, लेकिन समय के साथ आज राज्य में लगभग 37000 किलोमीटर लम्बी सड़कें हैं और प्रत्येक घर में बिजली सुविधा उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1971 में राज्य में प्रति व्यक्ति आय 651 रुपये थी, जो अब 1,30,067 रुपये तक पहुंच गई है, जो हिमाचल प्रदेश में विकास की व्यापकता को दर्शाता है।