चीन-भारत

भारत और चीन के बीच कोर कमांडर-स्तरीय वार्ता कल पूर्वी लद्दाख के चुशुल में

नई दिल्ली, 13 जुलाई। भारत और चीन (India China) के बीच कोर कमांडर.स्तरीय वार्ता (Corps Commander-level talks) मंगलवार को पूर्वी लद्दाख के चुशुल (Chushul ) में आयोजित की जाएगी।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार वार्ता मुख्य रूप से वास्तविक नियंत्रण रेखा पर  सेनाओं के पीछे हटने के  मुदृदे  दूसरे चरण पर केंद्रित होगी।

चीन पहले ही कई तनाव स्थलों से अपने सैनिकों को पीछे हटा चुका है।

चीनी सेना ने भी पिछले एक सप्ताह में फिंगर 4 की रिगलाइन में अपनी उपस्थिति कम कर दी है।

हिन्दुस्थान समाचार के अनुसार भारत की ओर से सेना की 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और चीन की तरफ से दक्षिण शिनजियांग के सैन्य जिला प्रमुख मेजर जनरल लियू लिन फिर आमने-सामने बैठेंगे।

दोनों सैन्य अधिकारियों के सामने एलएसी (LAC)के दोनों तरफ तैनात हजारों सैनिकों और हथियारों को पीछे करना असल चुनौती है।

बैठक में दोनों देशों की सेनाओं के पीछे हटने की योजना के दूसरे चरण पर चर्चा करने के साथ ही रोडमैप तैयार किया जाएगा।
दरअसल 15 जून को गलवान घाटी में चीनियों के साथ हिंसक झड़प में 20 सैनिकों के शहीद होने के बाद दोनों देशों के बीच तनाव ज्यादा ही बढ़ गया था।
दोनों तरफ युद्ध स्तर की तैयारी के तहत अभी भी सीमा के आसपास भारी संख्या में तोप, टैंक, मिसाइल, रॉकेट लॉन्चर, फाइटर जेट तैनात हैं। लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के कमांडरों की इस बैठक में सीमा पर तैनात भारत-चीन (India China) के सैनिकों और सैन्य हथियारों को एलएसी से हटाने के लिए तौर-तरीकों को अंतिम रूप दिया जाएगा।
इससे पहले सैन्य कमांडरों के बीच 30 जून को हुई वार्ता में भारत और चीन (India China) के बीच सीमा से पीछे हटने की सहमति बनी थी।
इसी आधार पर 2 जुलाई से पूर्वी लद्दाख की वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से भारत और चीन के सैनिकों को पीछे करने की प्रक्रिया शुरू हुई है।
गलवान में पीपी-14, हॉट स्प्रिंग और गोगरा एरिया में पीपी-15 और पीपी-17ए से भारत और चीन (India China) के सैनिक डेढ़ से दो किलोमीटर पीछे हो गए जिसका सत्यापन भी किया जा चुका है।
दोनों सेनाओं के बीच गलवान घाटी में पेट्रोलिंग प्वाइंट-14 पर 3 किमी. का बफर जोन बनाया गया है, जहां पर हिंसक झड़प हुई थी।
अभी मामला पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर फंसा है जहां स्थित आठ पहाड़ियों को ही फिंगर-4 से 8 तक जाना जाता है।
भारतीय गश्ती दल फिंगर-4 से 8 तक के 8 किमी. क्षेत्र में मई के पूर्व तक जाता था। इस बीच पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने मई में फिंगर-4 पर कब्जा जमा लिया और भारतीय गश्ती दल को आगे जाने से रोकने पर टकराव बढ़ा।
सैन्य कमांडरों के बीच सहमति के आधार पर चीन ने पैंगोंग झील में तैनात अपनी गश्ती नौकाओं को तो बाहर निकाल लिया है लेकिन पीएलए के सैनिक फिंगर एरिया की रिजलाइन को पूरी तरह खाली करने से मुकर रहे हैैं जबकि कोर कमांडरों की बैठक में 2 मई के पूर्व की स्थिति बहाल करने का फैसला हुआ था।