Supreme Court

समलैंगिकता अपराध नहीं, उच्‍चतम न्‍यायालय की संविधान पीठ का फैसला

lgbtqसमलैंगिकता अपराध नहीं है। उच्‍चतम न्‍यायालय की पांच न्‍यायाधीशों की संविधान पीठ ने यह फैसला गुरूवार को सुनाया ।

प्रधान न्‍यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा कि एलजीबीटी समुदाय के पास भी समाज के अन्य सदस्यों की तरह के ही अधिकार हैं।

न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा ​​ने कहा एलजीबीटी समुदाय के सदस्यों और उनके परिवार को वर्षों से समान अधिकारों से इंकार करने के लिए समाज को माफ़ी मांगनी चाहिए। एलजीबीटीक्यू समुदाय पर सालों से कलंक लगा रखा है।

उच्‍चतम न्‍यायालय ने समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध करार देने वाली भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के दंडात्‍मक प्रावधान को हटा दिया है।

फैसले में बच्चों और पशुओं के साथ यौनाचार को पहले की ही तरह अपराध माना जाता रहेगा।

पांच न्‍यायाधीशों की संविधान पीठ ने व्‍यवस्‍था दी कि 158 साल पुराने औपनिवेशिक कानून के कुछ अंश दंडात्‍मक प्रावधान के तहत नहीं आते।

प्रधान न्‍यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्‍यक्षता वाली पीठ ने भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के उन अंशों को तर्कहीन बताया जिनके तहत सहमति से अप्राकृतिक यौन संबंधों को अनुचित ठहराया गया है।

संविधान पीठ में प्रधान न्‍यायाधीश दीपक मिश्रा, न्‍यायमूर्ति आर एफ नरीमन, न्‍यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्‍यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्‍यायमूर्ति इंदु मल्‍होत्रा शामिल हैं।

संविधान पीठ ने धारा 377 को यह कहते हुए हटा दिया कि इससे समानता के अधिकार का उल्‍लंघन होता है।

बॉलीवुड हस्तियों ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा धारा 377 को रद्द करने के फैसले पर सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

अभिषेक बच्चन, करण जौहर, अर्जुन कपूर,आयुषमान खुराना, सोनम के अहुजा समेत कई बॉलीवुड कलाकारों ने इस ऐतिहासिक फैसले पर खुशी जाहिर की है।े

आयुषमान खुराना इस दिन को प्रगतिशील भारत की नई धूप कहा है।

सोनम के अहुजा ने एक ट्वीट में कहा कि यह वह भारत है जिसमें मैं रहना चाहती हूं। नफरत, कट्टरता, लिंगवाद और असहिष्णुता से भरा नहीं है। यह वह भारत है जिसे मैं प्यार करती हूं।

चेतन भगत ने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जहां संस्कृति हर 100 किमी पर बदल जाती है। विविधता को स्वीकार करना हर भारतीय का मूल मूल्य होना चाहिए और स्पष्ट रूप से भारत ही जीवित रहेगा और बढ़ेगा। यह भारत के लिए एक अच्छा दिन है।

मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण निर्णय है। मुझे खुशी है कि अदालत ने एलजीबीटी के अधिकारों को महसूस किया है। उनके दर्द और उन्हें समाज में उचित स्थान दिया है। इस फैसले के बारे में सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि उन्हें अन्य के समान अधिकार दिए जाएंगे।