NIA (Amendment) Bill

आतंकवाद खत्म करने के लिए लोकसभा में एनआईए(संशोधन)बिल पारित

आतंकवाद (Terrorism ) को खत्म करने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (संशोधन) विधेयक, 2019  (National Investigative Agency (Amendment) Bill, 2019) लोकसभा  (Lok Sabha) ने सोमवार  15 जुलाई, 2019 को पारित कर दिया।

विधेयक पर बहस में हस्तक्षेप करते हुए  गृह मंत्री अमित शाह  (Amit Shah) ने लोकसभा को आश्वासन दिया कि इसका दुरुपयोग नहीं किया जाएगा।

शाह ने कहा, एनआईए (NIA) कभी भी आतंकी मामलों की जांच के दौरान आरोपी व्यक्तियों के धर्म को नहीं देखता है।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह विधेयक जांच एजेंसी (Investigative Agency) को शीघ्रता से परीक्षण और सजा दिलाने का अधिकार देगा।

इस आरोप का जवाब देते हुए कि एनआईए संशोधन बिल (NIA  Amendment Bill) का दुरुपयोग होगा जैसा कि आतंकवाद निरोधक कानून के मामले में किया गया था, गृह मंत्री ने कहा, पोटा को निरस्त करना वोट बैंक को बचाने के लिए एक राजनीतिक निर्णय था।

उन्होंने दोहराया कि पोटा (POTA)  देश में आतंकी वारदातों को अंजाम देने में प्रभावी था। उन्होंने कहा कि एनआईए को पोटा की अनुपस्थिति में देश से आतंकवाद का सफाया करने के लिए पेश किया गया था।

इससे पहले, एनआईए संशोधन बिल (NIA  Amendment Bill), 2019 को गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने लोकसभा में स्थानांतरित किया था।

प्रारंभिक प्रस्तुतीकरण करते हुए, मंत्री ने कहा कि संशोधन आतंकवाद से संबंधित मामलों में परीक्षण को तेज करने के लिए जांच एजेंसी को मजबूत करेगा।

अधिनियम केवल एनआईए को बिना किसी समझौते के आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए सशक्त बनाने के लिए है।

उन्होंने उम्मीद जताई कि एजेंसी विदेशों में हमारे दूतावासों और संपत्तियों के खिलाफ आतंकवादी कृत्यों की जांच करने और साइबर आतंकवाद के अलावा मादक पदार्थों, हथियारों और महिलाओं की तस्करी के मामलों को उठाने में सक्षम होगी।

विधेयक पर बोलते हुए, कांग्रेस के मनीष तिवारी ने चेतावनी दी कि एनआईए को अतिरिक्त शक्तियां एक पुलिस राज्य बना सकती हैं क्योंकि राजनीतिक प्रतिशोध के लिए एजेंसी के दुरुपयोग की संभावनाएं हैं, क्योंकि उन्होंने इसे रखा था।

वह चाहते थे कि न्याय तक पहुँचने के लिए अभियुक्तों के अधिकार को सुरक्षित रखने के लिए जाँच और अभियोजन को अलग किया जाए।

शाह ने कहा आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने वाली किसी एजेंसी को और ताकत देने की बात हो और सदन एक मत न हो, इससे आतंकवाद फैलाने वालों का मनोबल बढ़ता है। मैं सभी दलों के लोगों से कहना चाहता हूं कि ये कानून देश में आतंकवाद से निपटने में सुरक्षा एजेंसी को ताकत देगा।

शाह ने कहा पोटा को भंग करना उचित नहीं था, ये पूर्व के सुरक्षा बलों के अधिकारियों का भी मानना है। इससे आतंकवाद इतना बढ़ा कि स्थिति काबू में नहीं रही और एनआईए को लाने का फैसला किया गया।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा हमें उन विधवाओं और उन परिवारों की भी चिंता है जो आतंकवाद के कारण प्रभावित होते हैं।

शाह ने बताया कि एन.आई.ए. विशेष कोर्ट को डेजिग्नेट करने से उस कोर्ट के जज के स्थानांतरण आदि के कारण कोर्ट खाली नहीं रहेगी और समय पर केस का निपटारा हो पायेगा।

एन.आई.ए.  अदालत के जजों की नियुक्ति संबंधित उच्‍च न्‍यायालय के मुख्‍य न्‍यायाधीश ही करते रहेंगे, जिस तरह अभी प्रक्रिया चल रही है।

आतंकवाद के विषय पर केंद्र सरकार राज्‍यों के साथ मिलकर काम करेगी। दोनों में तालमेल रहेगा।

एन.आई.ए. ने 272 मामलों में प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरु की। इनमें 52 मामलों में फैसले आये और 46 में दोषसिदधी हुई। 99 मामलों में आरोप पत्र दाखिल हो चुका है।

गृह मंत्री  ने सदन को बताया कि एन.आई.ए. का रिकॉर्ड 90 परसेंट सफलता का है, जो अंतरराष्ट्रीय स्‍तर पर भी उत्‍कृष्‍ट है।

अमित शाह ने कहा कि समझौता ब्लास्ट (Samjhota blast)  में कुछ लोगों को पकड़ा गया था, भारत के अलावा अमेरिकन एजेंसियों ने भी कहा कि इन लोगों ने समझौता ब्लास्ट किया किंतु पकड़े गए लोगों को छोड़ा गया उसके बाद दूसरे लोगों को पकड़ा गया।

यह पूछा जाना चाहिए था कि जिन्होंने ब्लास्ट किया था उनको क्यों छोड़ा गया और किसके कहने पर छोड़ा गया।

शाह ने कहा कि जब आप किसी के साथ खिलाफ उंगली करते हैं तो एक उंगली उसके खिलाफ होती है किंतु अपनी तरफ चार उगलियाँ इशारा करती हैं।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा आतंकवाद ना तो लेफ्ट होता है ना राइट होता है, केवल आतंकवाद होता है। इसके खिलाफ लड़ने की सरकार, संसद, सभी राजनीतिक दलों की जिम्‍मेदारी है। अगर एनआईए संशोधन बिल (NIA  Amendment Bill) पर संसद बंट गई तो आतंकवादियों का मनोबल बढ़ेगा।

अमित शाह ने सोमवार को सदन में मांग की कि एनआईए संशोधन बिल (NIA  Amendment Bill) पर डिवीजन होना चाहिए ताकि देश को यह मालूम हो कि कौन आतंकवाद के साथ है और कौन आतंकवाद के खिलाफ।