मानसून सत्र

संसद का शीतकालीन सत्र चढ़ा हंगामें की भेंट

नई दिल्ली, 17 दिसम्बर | संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही शुक्रवार को अनिश्चित काल के लिए स्थगित होने के साथ ही एक महीने लंबा शीतकालीन सत्र समाप्त हो गया। बीते 16 नवंबर को शुरू हुए शीतकालीन सत्र के दौरान, विपक्षी सदस्यों द्वारा नोटबंदी तथा अन्य मुद्दों को लेकर दोनों सदनों में पूरे महीने हंगामा जारी रखने के कारण पूरा सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया।

लोकसभा के लगभग 92 घंटे और राज्यसभा के 86 घंटे से अधिक का समय नोटबंदी तथा अन्य मुद्दों पर हंगामे की भेंट चढ़ गया।

लोकसभा की 21वीं बैठक में केवल 19 घंटे ही काम हो सका, जबकि राज्यसभा में 22 घंटे काम हुआ।

बार-बार बाधित होती सदन की कार्यवाही के कारण राज्यसभा में मात्र दो सवालों के जवाब दिए गए, वह भी मौखिक रूप से। जबकि सूची में 330 सवालों का जवाब दिया जाना था। वहीं लोकसभा में 440 तारांकित प्रश्नों में से केवल 50 के मौखिक रूप से जवाब दिए गए।

लोकसभा में विपक्ष मतविभाजन के प्रावधान के तहत नोटबंदी के मुद्दे पर चर्चा चाहता था। विपक्षी सदस्यों ने बाद में कहा कि वे मुद्दे पर बिना किसी नियम या मतविभाजन के चर्चा के लिए तैयार हैं।

सत्र के पिछले दो दिनों के दौरान, संसदीय मामलों के मंत्री अनंत कुमार सहित सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्यों द्वारा अगस्ता वेस्टलैंड मुद्दे पर चर्चा की मांग के कारण विपक्ष तथा सत्तापक्ष के सदस्यों के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। विपक्ष पर विमुद्रित 500 रुपये तथा 1,000 रुपये के नोटों को कथित तौर पर अवैध रूप से बदलने का आरोप लगाते हुए सत्तापक्ष ने विपक्ष की आलोचना की।

लोकसभा में हालांकि नियम 193 के तहत चर्चा हुई। तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के सदस्य ए.पी.जितेंद्र रेड्डी ने चर्चा की शुरुआत की, लेकिन अन्य विपक्षी दलों द्वारा हंगामा करने के कारण चर्चा को आगे नहीं बढ़ाया जा सका।

सत्र के अंतिम दिन तक विपक्षी पार्टियों के सदस्यों ने स्थगन प्रस्ताव के तहत चर्चा का नोटिस दिया, लेकिन अध्यक्ष ने तमाम नोटिसों को खारिज कर दिया।

वहीं, राज्यसभा में नोटबंदी मुद्दे पर चर्चा पहले दिन ही शुरू हुई। विपक्षी हालांकि बाद में पूरी चर्चा के दौरान सदन में प्रधानमंत्री की मौजूदगी की मांग करने लगा। मोदी के सदन से अनुपस्थित रहने को लेकर विपक्ष ने शोरशराबा किया और सदन को बाधित किया।

शुक्रवार को सभापति हामिद अंसारी के भावुक संबोधन के साथ सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। उन्होंने पूरे शीतकालीन सत्र की कार्यवाही बार-बार स्थगित होने पर रोष भी व्यक्त किया।

अंसारी ने सांसदों से कहा, “संसद का 16 नवंबर को शुरू हुआ 241वां सत्र आज समाप्त हो गया। मुझे उम्मीद थी कि मुझे जो दिसंबर 2013 में 221वें सत्र के समापन पर कहना पड़ा, वह नहीं दोहराना पड़ेगा।”

उन्होंने कहा, “मेरी उम्मीद टूट गई। नियमित और लगातार अवरोध इस सत्र की पहचान रही। संसद के व्यवस्थित संचालन के लिए मर्यादापूर्ण विरोध जरूरी था, लेकिन उसका पालन नहीं किया गया।”

अंसारी ने इस हंगामे के लिए सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों को जिम्मेदार ठहराया।

वहीं, लोकसभा अध्यक्ष महाजन ने भी सदन की कार्यवाही बार-बार बाधित होने को लेकर अप्रसन्नता जताई।

अध्यक्ष ने सदन को सूचित करते हुए कहा कि वर्तमान सत्र की कुल 21 बैठकों में मात्र 19 घंटे ही काम हुआ। बड़ी बात तो यह है कि यह 21 घंटा भी नहीं हो सका।

उन्होंने कहा कि हंगामे के कारण 91 घंटे 39 मिनट का समय बर्बाद हो गया।

महाजन ने कहा, “यह हमारे लिए ठीक नहीं है। इससे लोगों के बीच हमारी छवि खराब होती है।”

उन्होंने कहा, “मुझे उम्मीद है कि आगामी सत्रों में हंगामा नहीं होगा और हम सदन की कार्यवाही सुचारुपूर्वक चला पाएंगे।”

पूरे सत्र के दौरान, लोकसभा ने चार विधेयक पारित किए, जिनमें से दो वित्तीय विधेयक जो अनुदानों की अनुपूरक मांग से संबंधित थे, जबकि एक कराधान कानून (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2016 तथा दूसरा विकलांग लोगों का अधिकार विधेयक (2014) था।          –आईएएनएस