मशहूर शास्त्रीय गायिका किशोरी अमोनकर के निधन पर प्रधानमंत्री ने जताया शोक

मुंबई, 04 अप्रैल | भारतीय शास्त्रीय संगीत गायिका किशोरी आमोनकर का मुम्बई में सोमवार देर रात निधन हुआ। वे 84 साल की थीं। उनके निधन पर शोक जताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “उनका जाना भारतीय शास्त्रीय संगीत के लिए अपूरणीय क्षति है। वह अपने काम के जरिये आने वाले वर्षो में भी लोगों के बीच लोकप्रिय बनी रहेंगी।”

अपने क्षेत्र में हुनर और मेहनत से सिक्का जमानेवाली किशोरी आमोणकर को उनके चाहनेवाले ताई के नाम से भी जानते थे। 10 अप्रैल 1931 को मुम्बई में ही पैदा हुई किशोरी ताई ने अपनी मां और विख्यात गायिका मोगुबाई कुर्डिकर को अपना गुरु माना और संगीत साधना की। पति रवि आमोनकर ने उनका पूरा साथ दिया। रवि अमोनकर का निधन 1992 में हो गया था। अमोनकर के घर में उनके दो बेटे व पोते-पोतियां हैं।

भारत रत्न व दिग्गज गायिका लता मंगेशकर ने अमोनकर के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, “वह बेहतरीन शास्त्रीय गायिका थीं। उनके निधन से संगीत क्षेत्र को भारी क्षति हुई है।”

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी अमोनकर के निधन पर शोक जताया। उन्होंने कहा, “उनके निधन से देश ने जयपुर घराने की प्रमुख हस्ती को खो दिया है। किशोरी (अमोनकर) जी ख्याल, ठुमरी और भजन प्रस्तुति की अपनी बड़ी फेहरिस्त के जरिये हमारे बीच हमेशा मौजूद रहेंगी।”

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अमोनकर के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा, “वह संगीत के साथ लगातार प्रयोग करने के लिए जानी जाती थीं। उन्होंने अपने शास्त्रीय गीतों से लेकर भजनों व गायन की अन्य विधाओं में भी इसकी संवेदनशीलता को बरकरार रखा।”

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गायिका के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, “यह भारतीय शास्त्रीय संगीत के लिए बहुत बड़ा नुकसान है।”

शबाना आजमी, श्रेया घोषाल, हेमा मालिनी, मधुर भंडारकर और कैलाश खेर जैसी बॉलीवुड हस्तियों ने भी अमोनकर के निधन पर दुख जताया।

किशोरी ताई जयपुर घराने की शिष्या थीं, जिन्होंने हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत में मेहनत से अपना परचम लहराया। 1964 में आई हिन्दी फिल्म ‘गीत गाया पत्थरों ने’ में उन्होंने गायन किया, जबकि 1991 में रिलीज हुई ‘दृष्टि’ इस फिल्म को उनके संगीत निर्देशन से नवाज़ा गया।

अपने करियर में कई बुलंदियों को छूने वाली किशोरी ताई को संगीत कला अकादमी समेत, पद्मविभूषण तक कई सम्मान प्राप्त हुए। शास्त्रीय संगीत में भावनाप्रधान गायन कला को पुनर्जीवित करने का श्रेय किशोरीताई को जाता है।

(फोटो : यूट्यूब के सौजन्य से)