Central Jail Bhopal

भोपाल जेल में प्रहरी की भूमिका निभा रहे थे कैदी

भोपाल, 2 नवंबर | मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के केंद्रीय कारागार में कैद प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के विचाराधीन कैदियों की सुरक्षा को वरिष्ठ अधिकारियों ने नजरअंदाज किया और उसी का नतीजा रहा दिवाली की रात की घटना।

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह खुलासा कर चौंका दिया कि “भोपाल केंद्रीय जेल में जो काम प्रहरी को करना चाहिए, वह कैदी निभा रहे हैं।” इन खुलासों के बीच राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को केंद्रीय कारागार का निरीक्षण किया। इससे पहले सात शवों को मंगलवार रात विभिन्न स्थानों पर दफना दिया गया।

दिवाली की रात सिमी के आठ विचाराधीन कैदी प्रहरी रमाशंकर यादव की गला रेतकर हत्या करने के बाद फरार हो गए थे। फरारी के आठ घंटे बाद सभी आठों को शहर से कुछ किलोमीटर दूर पुलिस के संयुक्त दल ने मुठभेड़ में मार गिराया था।

तत्कालीन अतिरिक्त महानिरीक्षक (जेल) जी़ क़े अग्रवाल ने बुधवार को संवाददाताओं के साथ चर्चा में स्वीकार किया कि उन्होंने 2013 में ही मुख्य सचिव को पत्र लिखा था, जिसमें जेल व्यवस्था का मुद्दा शामिल था। इस पत्र में उन्होंने कहा था, “जेल में कोई घटना नहीं हो रही है, तो यह न माना जाए कि सुरक्षा-व्यवस्था पुख्ता है। यह तो सिर्फ भगवान की कृपा है, भगवान हमेशा मदद करता रहेगा, ऐसा नहीं है।”

अग्रवाल ने यह पत्र वर्ष 2013 में खंडवा जेल से सिमी कार्यकर्ताओं के फरार होने के बाद लिखा था। खंडवा की घटना के लिए उन्होंने जेल मुख्यालय को जिम्मेदार ठहराया था।

अग्रवाल ने कहा था, “भोपाल केंद्रीय कारागार का हाल यह है कि यहां जो काम प्रहरी को करना चाहिए, वह कैदी निभा रहे हैं। इससे आगे वह कुछ भी कहना नहीं चाहते।” अग्रवाल ने इस पत्र की प्रति एनएसए और आईबी प्रमुख को भी भेजी थी।

इसके अलावा एक अन्य अधिकारी को भी सिमी सदस्यों की अप्रिय हरकतों की आशंका थी, इसलिए विभागीय अधिकारियों ने जेल प्रशासन को सिमी के विचाराधीन कैदियों की सुरक्षा के संबंध में दिशा-निर्देश भी जारी किए थे।

सूत्रों ने कहा, “गत माह अतिरिक्त महानिदेशक (जेल) सुशोभन बनर्जी ने जेल की सुरक्षा और सिमी के विचाराधीन कैदियों पर खास नजर रखने के निर्देश दिए थे। उनकी ओर से दिए गए निर्देशों में साफ कहा गया था कि जिन बैरकों में सिमी के विचाराधीन कैदी हैं, उनके ताले बदल-बदलकर इस्तेमाल किए जाएं। इतना ही नहीं अफसर भी इन चीजों की लगातार निगरानी करें।”

सूत्रों के अनुसार, बनर्जी ने जेल अधीक्षक को अलर्ट जारी करते हुए कहा था कि सिमी के विचाराधीन कैदियों पर खास ध्यान रखा जाए और उनकी मुलाकातों पर बंदिश लगाई जाए। इसके साथ ही पूर्व के निर्देशों पर अमल किया जाए, ताकि कोई अप्रिय घटना न हो।

भोपाल जेल की सुरक्षा को लेकर जारी निर्देशों में कहा गया था कि बैरक के बंदियों की अदला-बदली की जाए, बाहरी दीवार के आसपास गश्त बढ़ाई जाए और झाड़ियां काटकर हटाई जाएं।

सूत्रों का कहना है कि विभागीय अधिकारी द्वारा जारी अलर्ट के बाद पुलिस मुख्यालय से विशेष सुरक्षा बलों की मांग जरूर की गई और बंदियों से मुलाकात पर रोक लगाई गई, मगर शेष निर्देशों पर अमल नहीं हुआ।

भोपाल के पुलिस महानिरीक्षक योगेश चौधरी ने भी माना है कि सिमी के विचाराधीन कैदियों ने प्लास्टिक और लकड़ी की चाबियों के सहारे बैरक के ताले खोले थे। अगर ताले बदलने के निर्देशों पर अमल किया गया होता तो शायद तालों को खोलना संभव नहीं हो पाता और इसके अलावा सुरक्षा ड्यूटी पर अगर रमाशंकर व चंदन के अलावा कुछ और सुरक्षा प्रहरी तैनात होते और अधिकारियों ने निगरानी की होती तो बंदियों को जेल से भागना आसान नहीं होता।

सूत्रों का कहना है कि सेना की सर्जिकल कार्रवाई के बाद जेल विभाग के एक जिम्मेदार अधिकारी ने भी शासन को जेल की सुरक्षा बढ़ाने के लिए पत्र लिखा था।

सिमी के विचाराधीन कैदियों के भागने की घटना के बाद बुधवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जेल व्यवस्था का जायजा लिया। चौहान सुबह लगभग 11 बजे केंद्रीय कारागार पहुंचे और वहां की व्यवस्था का निरीक्षण किया। उन्होंने जेल की व्यवस्था सुदृढ़ और चाक-चौबंद करने का अधिकारियों को निर्देश दिया।

इस दौरान मुख्यमंत्री चौहान के साथ मुख्य सचिव बी.पी. सिंह, पुलिस महानिदेशक ऋषि कुमार शुक्ला और पुलिस महानिदेशक (जेल) संजय चौधरी भी थे।

इससे पहले मंगलवार को सभी आठों सिमी कार्यकर्ताओं के शवों के पोस्टमार्टम करा गए। पोस्टमार्टम से पता चला कि चार के शरीर से गोली आर-पार हो गई थी, तो चार के शरीर में गोलियां पाई गईं। उसके बाद पांच के शव (महबूब, जाकिर, अमजद, अकील व सालिक) खंडवा से आए परिवारों को और एक उज्जैन के महिदपुर से आए माजिद के परिजनों को शव सौंप दिए गए।

खंडवा में देर रात पांचों के शव दफना दिए गए। इस दौरान तनाव की स्थिति भी बनी। एक शव महिदपुर में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। महाराष्ट्र के खालिद के शव को भोपाल के हलालपुर के कब्रिस्तान में दफनाया गया। इसके अलावा मुजीब का शव उसके परिजनों को सौंपा गया।

–आईएएनएस