रॉबर्ट वाड्रा ने जमीन सौदे में 50 करोड़ रुपये अवैध तरीके से कमाए : रिपोर्ट

नई दिल्ली, 28 अप्रैल। कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा ने साल 2008 में हरियाणा में एक जमीन सौदे से 50 करोड़ रुपये का अवैध मुनाफा कमाया था। अंग्रेजी अखबार इकॉनॉमिक टाइम्‍स की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि वाड्रा के जमीन सौदों की जांच कर रहे जस्टिस एसएन ढींगरा आयोग ने माना है कि वाड्रा ने इस सौदे में एक भी पैसा नहीं लगाया और बावजूद इसके मुनाफा कमाया। ईटी ने आयोग की रिपोर्ट से जुड़े लोगों के हवाले से लिखा है कि जांच आयोग ने ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज और वाड्रा के स्वामित्व वाली स्काईलाइट हॉस्पिटलिटी और उसके बाद स्काईलाइट और डीएलएफ के बीच हुए वित्तीय लेन-देन की जांच की है।

अखबार के अनुसार, धींगरा आयोग ने 20 से अधिक संपत्तियों की जांच की है, जिसे कथित तौर पर वाड्रा और उनकी कंपनियों ने खरीदा था। आयोग ने पाया कि वाड्रा की स्काईलाइट को लाभ पहुंचाने के लिए डीलरों और तत्कालीन भूपेंद्र सिंह हुड्डा की कांग्रेस सरकार के बीच सांठगांठ हुई थी। इस जांच आयोग का गठन गुड़गांव के चार गांवों में भू-उपयोग में बदलाव के लिए लाइसेंस जारी किए जाने की प्रक्रिया की जांच के लिए मई 2015 में मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने की थी। अखबार की रिपोर्ट में कहा गया है कि वाड्रा के स्वामित्व वाली हॉस्पिटैलिटी कंपनी ने ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से जमीन खरीदी थी।

उल्लेखनीय है कि इस जांच की रिपोर्ट पिछले साल 31 अगस्त को सौंपी गई थी। उसके बाद सरकार ने इसे एक बंद लिफाफे में पिछले हफ्ते सर्वोच्च न्यायालय को सौंप दी थी। सर्वोच्च न्यायालय की एक पीठ ने भूमि सौदों से संबंधित एक लंबित याचिका के संदर्भ में इस रपट की मांग की थी।

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा ने जांच रपट के आधार पर एक अंग्रेजी बिजनेस दैनिक द्वारा न्यूज रपट प्रकाशित किए जाने पर रोक लगाने के लिए पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।

हुड्डा ने हालांकि अपनी याचिका बाद में वापस ले ली थी, जिसमें उन्होंने कहा था, “इसके परिणामस्वरूप याचिकाकर्ता (हुड्डा) को अपूरणीय क्षति होगी। इसलिए अखबार को यह रपट प्रकाशित करने से रोका जाना चाहिए।”

वाड्रा के वकील ने एक सवाल के जवाब में अखबार से कहा कि कंपनी या फिर उनके मुवक्किल ने कोई भी गलत नहीं की है और न किसी कानून का उल्लंघन किया है।

प्रियंका गांधी वाड्रा ने गुरुवार को एक बयान में कहा था, “फरीदाबाद के अमीपुर गांव में उनके द्वारा खरीदी गई कृषि भूमि या अन्य संपत्तियों का उनके पति के फायनेंसेस, उनकी स्काईलाइट हॉस्पिटलिटी या डीएलएफ से कुछ भी लेना-देना नहीं है।” उन्होंने कहा कि यह जमीन 15 लाख रुपये में चेक के जरिए भुगतान कर खरीदी गई थी, जो तीन लाख रुपये प्रति एकड़ थी। प्रियंका ने बयान में कहा था कि जमीन खरीदने के लिए ये रुपये प्रियंका गांधी वाड्रा को उनकी दादी इंदिरा गांधी द्वारा मिली संपत्ति के किराए से प्राप्त हुए थे।

जांच आयोग ने पाया है कि वाड्रा की कंपनी को जमीन हस्तांतरण की समीक्षा के दौरान बिक्री का करार स्काईलाइट के पक्ष में शून्य भुगतान पर किया गया। उसके बाद भू-उपयोग में बदलाव कर यह जमीन काफी ऊंची कीमत में डीएलएफ को बेच दी गई और इसके परिणामस्वरूप 50.5 करोड़ रुपये का लाभ हुआ।

अखबार के अनुसार, आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है, “संभवत: अन्य संपत्तियां भी इसी तरह के धन से खरीदी गई हैं और उनकी भी जांच किए जाने की आवश्यकता है।”

(फाइल फोटो)