नकली गौरक्षकों को गायों से कोई मतलब नहीं : मोदी

गजवेल (तेलंगाना), 7 अगस्त | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा, “नकली गौरक्षकों को गायों से कोई मतलब नहीं है। वे समाज में तनाव पैदा करना चाहते हैं। उन्होंने  कहा, “राज्यों को नकली ‘गौरक्षकों’ की जांच करने और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आग्रह किया।

मोदी ने कहा कि वे लोग देश को बर्बाद कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मेडक जिले में राज्य के पेयजल कार्यक्रम ‘मिशन भगीरथ’ का उद्घाटन करने के बाद जनसभा को संबोधित कर रहे थे।

गौरक्षा के नाम पर हो रही बर्बरतापूर्ण घटनाओं पर अपनी चिंता का इजहार करते हुए उन्होंने कहा, “भारत विविधताओं, विभिन्न मूल्यों एवं परंपराओं से भरा देश है और इसकी एकता व अखंडता की रक्षा करना हमारी प्रमुख जिम्मेदारी है।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि वह असली गौरक्षकों और गौसेवकों को सलाम करते हैं। उन्होंने हालांकि यह नहीं बताया कि असली और नकली गौरक्षकों की पहचान कैसे की जाए।

मोदी ने लोगों से अपील की कि वे नकली गौरक्षकों का पर्दाफाश करने के लिए आगे आएं। उन्होंने कहा, “मैं आपसे अपील करता हूं कि आप आगे आएं, कहीं ऐसा न हो कि आपके स्तर से किया गया अच्छा कार्य कुछ स्वार्थ साधने वाले लोगों के हाथों बर्बाद हो जाए।”

मोदी ने कहा कि जो लोग गौभक्ति और गौसेवा में विश्वास करते हैं, उन्हें गाय को कृषि से जोड़ना होगा। इससे इस क्षेत्र को स्थायित्व मिलेगा और आर्थिक विकास में योगदान होगा। उन्होंने कहा, गाय एक संपत्ति है, यह कभी भी बोझ नहीं हो सकती।

मोदी ने जनसभा में कहा कि हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत हमेशा कृषि में नई चीजों का प्रयोग करते रहते हैं। राज्यपाल दूध नहीं देने वाली लावारिस छोड़ दी गई गायों को किसानों को सौंप देते हैं और उन्हें कृषि से जोड़ने के लिए कहते हैं, क्योंकि गोमूत्र एवं गोबर जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ाते हैं।

गौरक्षा के नाम पर दलितों पर हो रहे अत्याचार पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए मोदी ने शनिवार को कहा था कि ऐसी घटनाओं पर उन्हें बहुत गुस्सा आता है। उन्होंने राज्य सरकारों से ऐसे लोगों की एक सूची तैयार करने को कहा, जो गौरक्षा के नाम पर अपनी दुकान चला रहे हैं।

नई दिल्ली में टाउन हॉल शैली में जन-संवाद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “कुछ ऐसे लोग हैं जो गौरक्षा के नाम पर अपनी दुकान चला रहे हैं। वे रात में समाज विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहते हैं और दिन में गौरक्षक का चोला पहन लेते हैं।”

देश के विभिन्न हिस्सों में कथित गौरक्षकों द्वारा दलितों और मुस्लिमों पर हमले की बढ़ती घटनाओं पर प्रधानमंत्री की चुप्पी को लेकर विपक्षी दल प्रधानमंत्री की आलोचना कर रहे थे।

भारतीय जनता पार्टी के शासन वाले राज्य गुजरात के उना में 11 जुलाई को गौ-निगरानी समिति के सदस्यों ने चार दलित युवकों के कपड़े उतारकर, उन्हें लोहे की जंजीर से जायलो कार से बांधकर उनकी पीठ पर अल्युमीनियम की छड़ी घंटों बरसाते रहे। पुलिस इन दलित युवकों को लहूलुहान होते देखते रही। जालिमों ने अपने इस कुकृत्य का वीडियो इंटरनेट पर डाल दिया था, ताकि इसे देखकर और लोग सबक लें।

भाजपा के ही शासन वाले झारखंड में इसी साल मार्च में एक स्थानीय गौरक्षक समूह ने दो मुस्लिमों की फांसी दे दी थी।

पिछले माह भाजपा शासित मध्यप्रदेश में मंदसौर रेलवे स्टेशन पर गोमांस ले जाने के शक में दो मुस्लिम महिलाओं की बेरहमी से पिटाई की गई थी और पुलिस खड़ी देखती रही। ये गौरक्षक असली थे या नकली, यह पहचानने में पुलिस भी असमर्थ है, इसलिए मूकदर्शक बने रहना उसकी मजबूरी है।

पिछले साल उत्तर प्रदेश के दादरी में गौरक्षकों की भीड़ ने अपने फ्रिज में गोमांस रखने के आरोप में मुहम्मद अखलाक की पीटकर और सिलाई मशीन से सिर कुचलकर हत्या कर दी थी। साथ ही उसके बेटे दानिश को अधमरा कर दिया था। अब फॉरेंसिक रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन गौरक्षकों की तहरीर पर स्थानीय अदालत ने अखलाक के समूचे परिवार के खिलाफ गोहत्या का मुकदमा दर्ज करवाया है। अदालत संभवत: अखलाक के हत्यारों को ‘असली गौरक्षक’ मान रही है। यानी असली गौरक्षकों को जुल्म ढाने की छूट रहेगी। कार्रवाई सिर्फ नकली पर होगी।

–आईएएनएस