असली सेनापति वही जो रणनीति का खुलासा न होने दे : शिवपाल

लखनऊ, 9 दिसंबर | उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव उप्र की सियासत में एक बड़ा नाम है। वह उप्र में दोबारा पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का दावा तो करते हैं, लेकिन पार्टी के भीतर मचे घमासान को लेकर उनका दो टूक कहना है कि कुछ लोग अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए आकाओं के कान भरते रहते हैं।

वह कहते हैं, “सफल सेनापति वही होता है जो अपनी रणनीति का खुलासा न होने दे और ऐसे लोगों से पार्टी को बचाए रखे।”

सपा के कद्दावर नेता ने आईएएनएस को दिए विशेष साक्षात्कार में पार्टी और परिवार के भीतर मचे घमासान को लेकर हर मुद्दे पर खुले दिल से बात की और सभी सवालों के बेबाकी से जवाब दिए।

सवाल : आपने कड़ी मेहनत से पार्टी को खड़ा किया है और सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के संघर्षो के साथी रहे हैं, लेकिन जब आपके अपने ही आप पर सवाल खड़े करते हैं तो बुरा नहीं लगता?

जवाब : मुझे किसी के प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं है। हां, सत्ता मिलने पर तमाम तरह के लोग जुड़ते हैं, जिनमें कुछ अच्छे होते हैं और कुछ बुरे। कोई कुछ भी कहता रहे, इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। हमें तो चलते जाना है और अपनी मंजिल तय करनी है।

सवाल : पार्टी की रजत जयंती समारोह के दौरान आपने खुद ही कहा था कि चाहे जितना अपमान हो जाए, लेकिन जरूरत पड़ी तो आप अखिलेश के लिए जान भी दे सकते हैं। शिवपाल जैसे नेता को अपमान सहने की जरूरत क्या है?

जवाब : मैंने कहा न! सत्ता के साथ तमाम लोग जुड़ते हैं। कुछ लोग अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए अपने आकाओं के कान भरते रहते हैं। लेकिन सभी को इस तरह के लोगों से सावधान रहने की जरूरत है।

सवाल : आप संगठन में हमेशा ही महिलाओं, युवाओं की भागीदारी की बात करते हैं। आपकी पार्टी विधानसभा चुनाव में कितने प्रतिशत युवाओं व महिलाओं को टिकट देगी?

जवाब : सभी की उचित मात्रा में भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।

सवाल : आप कई मौकों पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के काम की तारीफ करते रहते हैं, लेकिन जब सरकार ने इतना अच्छा काम किया है तो फिर कौमी एकता दल को साथ लेने की क्या जरूरत थी?

जवाब : लोग अगर साथ जुड़ते हैं तो इसमें बुराई क्या है?

सवाल : क्या पार्टी के भीतर अभी भी सबकुछ ठीक नहीं है?

जवाब : ठीक कब नहीं था? समाजवादी परिवार हमेशा एक था, एक है और एक रहेगा।

सवाल : पार्टी के भीतर जो संघर्ष छिड़ा है, उसमें आप खुद को कहां पाते हैं?

जवाब : पार्टी में कोई संघर्ष नहीं है, सबकी अपनी-अपनी जिम्मेदारी तय है।

सवाल : पार्टी के भीतर की खेमेबंदी से सपा कार्यकर्ता कैसे सामंजस्य बैठाएंगे?

जवाब : अरे भाई, कोई खेमेबंदी नहीं है.. फिर सामंजस्य बैठाने का सवाल ही कहां उठता है।

सवाल : युवा ब्रिगेड का आरोप है कि उन पर एकतरफा कार्रवाई की गई। उनकी वापसी कब तक होगी?

जवाब : अनुशासन सभी के लिए समान है। वापसी का फैसला नेताजी को ही करना है।

सवाल : मंत्रिमंडल में अब तक आपकी वापसी नहीं हुई है। इसको लेकर क्या कहेंगे? क्या अधिकारी अब आपकी नहीं सुनते?

जवाब : अब चुनाव में समय ही कितना बचा है। सरकार में रहकर संगठन का काम प्रभावित होता है और मजबूत संगठन ही सरकार के कामों को लेकर जनता के बीच जाता है। इसीलिए इस समय मेरी प्राथमिकता अगली सरकार बनाना है। सरकार में रहते हुए मैंने अपने विभागों के माध्यम से विकास के काफी काम किए हैं। यह भी किसी से छिपा नहीं है।

सवाल : गुटों में बंटी सपा को नया प्रदेश अध्यक्ष एकजुट कैसे कर पाएगा?

जवाब : आपको क्यों लगता है कि पार्टी में गुटबाजी है। मुझे तो कहीं दिखाई नहीं देती।

सवाल : सपा के जो युवा नेता आपसे आंख मिलाने की हिम्मत नहीं करते थे, आज वही आपके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।

जवाब : यह सब मीडिया की देन है। पार्टी स्तर पर ऐसा कुछ नहीं है।

सवाल : विधानसभा चुनाव काफी नजदीक है, सभी पार्टियां अपनी तैयारी में जुटी हैं। आपकी क्या तैयारी है?

जवाब : मैंने बताया न कि पार्टी में सभी की अपनी-अपनी जिम्मेदारी तय है। एक सफल सेनानायक वही है जो अपनी तैयारियों व रणनीति का खुलासा न होने दे।

सवाल : सपा के भीतर मची कलह के बाद उप्र के मुसलमानों का सपा से मोहभंग हो गया है। इस समीकरण को आप कैसे ठीक करेंगे?

जवाब : पार्टी के अंदर कभी कोई कलह नहीं थी। यह सब आप लोगों की ही देन है। समाजवादी परिवार एक था, एक है और एक रहेगा। नेताजी ने हमेशा ही मुसलमानों की बेहतरी के लिए काम किया है और आगे भी करते रहेंगे। सपा सरकार में ही मुसलमानों का भला हो सकता है। प्रदेश और देश का मुसलमान यह अच्छी तरह जानता है।

सवाल : गाजीपुर की रैली से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दूरी क्यों बनाई? क्या इसकी वजह कौमी एकता दल का साथ होना है?

जवाब : देखिए, पार्टी ने सभी की जिम्मेदारी तय की है। प्रदेश बड़ा है। किसी सभा में नेताजी होंगे तो किसी में अखिलेश और किसी में मैं खुद रहूंगा। मीडिया तो हर बात में मसाला ढूंढ़ती रहती है।

सवाल : बसपा प्रमुख मायावती कहती हैं कि विधानसभा चुनाव में उनकी सीधी लड़ाई भाजपा के साथ है। आपका मुकाबला किसके साथ है?

जवाब : उनके पास कहने को कुछ नहीं है। जनता हमारे कामों को देखते हुए हमें फिर सरकार बनाने का मौका देगी।

सवाल : सपा नोटबंदी का विरोध कर रही है, लेकिन ममता की रैली में अखिलेश यादव शामिल नहीं हुए, क्यों?

जवाब : मुख्यमंत्री के पास बहुत काम होते हैं। समय नहीं निकाल पाए होंगे।

सवाल : नोटबंदी के बाद देश में जो राजनीतिक हालात उभरकर सामने आए हैं, उसमें आप कैसे सामंजस्य बैठाएंगे?

जवाब : हमारी पार्टी कभी कालेधन के खिलाफ नहीं है। लेकिन जिस तरह अचानक बिना सोचे-समझे और तैयारी के इसे लागू किया गया, इससे सारे देश की जनता परेशान है। प्रधानमंत्री की इस योजना से मजदूर, किसान, गरीब और व्यापारी सभी लोग अपना काम छोड़कर लाइन में लगे हुए हैं, फिर भी किसी को अपना पैसा नसीब नहीं हो रहा है। लाइन में खड़े-खड़े बुजुर्ग लोग मर रहे हैं।

सवाल : नोटबंदी का उप्र की क्षेत्रीय पार्टियों पर कितना असर पड़ेगा? क्या इससे चुनाव में धनबल के इस्तेमाल पर रोक लगेगी?

जवाब : नोटबंदी से पूरा देश प्रभावित हो रहा है। हमारी पार्टी के पास कोई कालाधन नहीं है। इसीलिए हमारी पार्टी को इससे कोई नुकसान नहीं होगा।

शिवपाल सिंह यादव ने वर्ष 1988 में अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। 1988 से 1991 और फिर 1993 में इटावा जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष चुने गए। वर्ष 1995 से लेकर 1996 तक वह इटावा के जिला पंचायत अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने 1994 में उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक के अध्यक्ष का दायित्व भी संभाला। 1996 में हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव में वह इटावा की जसवंतनगर सीट से विधानसभा चुनाव लड़े और ऐतिहासिक मतों से जीते। बसपा सरकार के समक्ष नेता विरोधी दल की जिम्मेदारी भी वह संभाल चुके हैं। –आईएएनएस