छत्तीसगढ़ के कोरबा में ढाई हजार साल पुराने शैलचित्र मिले

rock paintings

Prehistoric rock painting

छत्तीसगढ़ के कोरबा (Korba) में ढाई हजार साल पुराने शैलचित्र मिले  है।  कोरबा (Korba) को अब पुरातात्विक शैलचित्रों (rock paintings() के मिलने से एक अलग पहचान मिलेगी।

जिला पुरातत्व संग्रहालय के मार्गदर्शक  हरि सिंह क्षत्री और उनके सहयोगियों ने कोरबा जिले के विभिन्न दूरस्थ अंचलों में प्रागैतिहासिक काल (prehistoric) से लेकर नवपाषाणकालीन 369 शैलचित्रों (rock paintings) के मिलने का दावा किया है।

पुरातत्व विभाग के  हरि सिंह क्षत्री (Hari Singh Khshtri) ने इन शैलचित्रों में तलवारधारी घुड़सवार, अश्व, हिरण, मयूर, मुर्गी से लेकर शेरों वाली हाथ जोड़ी और अन्य ज्यामितीय चिन्हों के शैलचित्र (rock painting) कोरबा जिले की विभिन्न पहाड़ियों पर खोजे हैं।

पुरातन काल से ही आदिमानवों के इस क्षेत्र में लम्बे समय तक रहवास की पुष्टि भी इन शैलचित्रों (rock paintings) से हो रही है।

कोरबा जिले में मिले यह सभी शैलचित्र (rock painting) ई.पू. ढाई हजार साल से दस हजार साल पुराने माने जा रहे हैं।

जिले के कोरबा विकासखण्ड के गोल्हर गांव (छातीपाठ) के लिखाभाड़ा क्षेत्र में एक साथ 173 महत्वपूर्ण शैलचित्र मिले हैं।

पुरातत्ववेता हरि सिंह क्षत्री और उनके सहयोगी  पर्राराम ने इन शैलचित्रों को खोजा है।

गोल्हर गांव (Golhar village) में मिले शैलचित्रों (rock paintings) में खड़गधारी अश्वारोही, हिरण, मयूर, अष्व, मुर्गी, मानव ज्यामितीय चिन्हों के शैलचित्र मिले हैं।

इन शैलचित्रों में सफेद और लाल रंग के शैलचित्र भी हैं।

गोल्हर गांव के शैलचित्रों में एक चित्र के उपर दोबारा चित्र बनाये जाने के भी स्पष्ट प्रमाण हैं। जिससे यह जानकारी मिलती है कि इस क्षेत्र में आदिमानव लम्बे समय तक रहे हैं।

कोरबा विकासखण्ड के ही ग्राम सोनारी में दो राॅक आर्ट सेल्टरों में से शेरों वाली हाथाजोड़ी गुफा में हाथ के पंजे के तीस,  जानवरों के दो समूहों के शैलचित्र सहित कुल चालीस की संख्या में शैलचित्र मिले हैं।

इसके साथ ही एक और सेल्टर में हाथ के पंजे के नौ और शैलचित्र भी खोजे गये हैं। पास ही धसकनटुकू नाम की जगह पर हाथ के पंजे के सात, दण्डनुमा एक और अन्य प्रकार के तीस और शैलचित्रों को खोजा गया है।

कोरबा विकासखण्ड अंतर्गत ग्राम अरेतरा के तीन विभिन्न राॅक सेल्टरों में सीताचैक में 34 शैलचित्र मिले हैं जिनमं हाथ के पंजे के 16, ज्यामितीय प्रकार के 16, और दो जानवरों के हैं।

इसी गांव में हाथामाड़ा पहाड़ी पर हाथ के पंजों के 65 शैलचित्र और गढ़पहरी में अत्यंत धुमिल अवस्था में 3 अन्य शैलचित्रों की खोज की गई है।

इन शैलचित्रों (rock paintings) की खोज में  हरि सिंह क्षत्री को  मोतीलाल,  भाटीलाल, गंगाराम, चमारूराम और बुधवारो बाई मंझवार ने भी सहयोग किया है।

उल्लेखनीय है कि जिला पुरातत्व संग्रहालय के मार्गदर्शक  हरि सिंह क्षत्री ने ही जिले में सबसे पहले 8 नवम्बर 2012 को करतला विकासखण्ड के सुअरलोट ग्राम के दुल्हा-दुल्ही पहाड़ी पर शैलचित्रों (rock paintings) को खोजा था।

फिर पुनः 22 मई 2013 को इसी ग्राम के सीता चैकी में भी अत्यंत महत्वपूर्ण शैलचित्र मिले थे। 28 मई 2016 को फुटका पहाड़ अजगरबहार के पास केरा गुफा (मछलीमाड़ा) और सतरेंगा के पास महादेव पहाड़ी पर पंजों के निषान के 10 शैलचित्र मिल चुके हैं।

जिला निर्माण के बाद सबसे पहले जिला पुरातत्व संघ के माध्यम से कोरबा में व्याप्त पुरानिधियों की सर्वे और खोज शुरू हुई थी।

स्थानीय इंदिरा स्टेडियम के हाॅल नंबर 3 में उस समय अस्थायी संग्रहालय भी बनाया गया था।

जिले में लगातार बढ़ती पुरानिधियों की संख्या को देखते हुये 2013 में संस्कृति विभाग तथा नगर निगम कोरबा ने मिलकर घण्टाघर ओपन थियेटर में वृहद पुरातत्व संग्रहालय स्थापित किया और जिले के पुरातात्विक वैभव से अवगत कराने उसे आमजनों के लिये भी खोल दिया गया।