जब गांधी जी चम्पारण आये….

नीतीश कुमार  ===आज से सौ साल पहले बापू मुजफ्फरपुर आये थे। राजकुमार शुक्ल जी और कई लोगों के प्रयत्न से गांधी जी चम्पारण आये थे। गांधी जी के चम्पारण आने में राजकुमार शुक्ल जी की भूमिका अग्रणी रही। सौ साल पहले 10 अप्रैल को गांधी जी मुजफ्फरपुर आये थे। मुझे बहुत प्रसन्नता है कि यह वही प्रांगण है, जहां गांधी जी आये थे। आचार्य जी.बी. कृपलानी यहां शिक्षक रहे थे। विद्यार्थियों के साथ वे गांधी जी के स्वागत में गये थे तथा गांधी जी ने यहाॅ रात्रि विश्राम किया था। गांधी जी ने यहाॅ के कुआॅ के पानी से स्नान किया था।

यहाॅ के बाद गांधी जी गया बाबू के यहाॅ ठहरे थे। 11 अप्रैल को ही गांधी जी ने ग्रामीणों की समस्याओं को सुना। राजकुमार शुक्लजी द्वारा कही गयी सारी बातों को सही पाया। 11 अप्रैल को ही वहाॅ के किसानों की समस्याओं को लेकर प्लांटर्स एसोसिएशन के सचिव जेम्स विलसन और गांधी जी से वार्ता हुई। गांधी जी एवं जेम्स विलसन के उस ऐतिहासिक वार्ता को अभी-अभी बेहतरीन ढ़ंग से यहाॅ मंचित किया गया, इसके लिये मैं ं आयोजकों को बधाई देता हूॅ।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 12 अप्रैल, 2017 को पटना में गांधी राथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना करते हुए।

13 अप्रैल को गांधी जी तिरहुत कमिश्नर से भी मिले थे। गांधी जी ने लोगों की समस्याओं को ध्यान से सुना। 18 अप्रैल को एस.डी.ओ. कोर्ट में गांधी जी की पेशी हुई, जहाॅ अपार जनसमर्थन देखते हुये गांधी जी को बिना जमानत के छोड़ना पड़ा। साथ ही साथ मुकदमा भी उठाना पड़ा। 22 अप्रैल तक और लोग जुड़े तथा सबका सहयोग मिला, माहौल बनता गया। अंग्रेजी हुकूमत पस्त हो गयी थी। जाॅच कमिटी बनायी गयी, जिसमें गांधी जी भी एक सदस्य के रूप में थे। आयोग ने अपना रिपोर्ट सौंपा। अंततोगत्वा घृणित तीनकठिया प्रथा की समाप्ति हुई। चम्पारण सत्याग्रह सफल हुआ। आजादी की लड़ाई में नया मोड आया।
चम्पारण सत्याग्रह की भूमिका को भुलाया नहीं जा सकता। आजादी के लिए लड़ाई जोर पकड़ती गयी और देश आजाद हो गया। आज हम पूरे जोश एवं उत्साह के साथ चम्पारण सत्याग्रह का शताब्दी वर्ष मना रहे हैं।

आज लोग गांधी जी का सिर्फ नाम लेते हैं, उनके विचारों का अनुसरण नहीं करते हैं। हम सभी संकल्प लेते हैं कि उनके विचारों का अनुपालन करेंगे। चम्पारण सत्याग्रह शताब्दी समारोह सिर्फ आयोजनों तक सिमटे नहीं बल्कि उनके विचार एवं संदेशों को अंतःकरण में उतारने की जरूरत है। पटना में 17 अप्रैल को देश भर के स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित किया जायेगा, जहाॅ सभी दलों के सदस्य उपस्थित रहेंगे। दक्षिण भारत के भी स्वतंत्रता सेनानियों ने आने की अपनी सहमति जाहिर की है। 18 अप्रैल को मोतिहारी में स्मृति यात्रा होगी। हमारा मकसद है गांधी जी के विचारों को घर-घर पहुंचाएं।

गांधी जी के विचारों पर फिल्म बनाकर भी एक-एक गाॅव, सौ तक के बसावट वाले टोलों तक दिखायेंगे। साथ ही स्कूल मंे बच्चों को रोज गांधी जी से जुड़ी कहानी को प्रार्थना के बाद बताया जायेगा ताकि वे गाॅधी जी के विचारों से अवगत हो। अगर नई पीढी का दस प्रतिशत भी गाॅधी जी के विचारों के प्रति आकर्षित हो जाय तो आने वाले 10 से 15 साल में समाज बदल जायेगा।

पटना में 11 अप्रैल, 2017 को चम्पारण सत्याग्रह स्मृति समारोह के अवसर पर  बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा दिए गए भाषण पर आधारित