अखिलेश के करीबियों की करतूतों से हारी सपा : विश्वकर्मा

लखनऊ, 18 मार्च। उत्तर प्रदेश की सत्ता से समाजवादी पार्टी (सपा) की विदाई पर हर कोई अपने हिसाब से मंथन कर रहा है। इसी क्रम में मोस्ट बैकवार्ड क्लासेज एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. राम सुमिरन विश्वकर्मा ने कहा कि सपा अध्यक्ष अखिलेश के करीबियों की करतूतों से ही सपा हारी है।

उन्होंने सपा-कांग्रेस गठबंधन को उचित ठहराया, लेकिन कांग्रेस को ज्यादा सीटें देना उनकी नजर में उचित नहीं रहा।

विश्वकर्मा के मुताबिक, अपने कार्यकर्ताओं को हक से वंचित किया जाना उचित निर्णय नहीं था। कांग्रेस को गठबंधन के तहत 45-50 सीटें दिया जाना भी अधिक था। विधानसभा चुनाव में सपा ने तो कांग्रेस प्रत्याशियों का साथ दिया, लेकिन कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सपा का साथ न देकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मदद की।

उन्होंने कहा कि अतिविश्वास, संवादहीनता व मुख्यमंत्री के करीबियों की कारगुजारियों से सपा की अप्रत्याशित व अकल्पनीय हार हुई।

विश्वकर्मा ने शनिवार को कहा कि लगता है, कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर के ऊपर भी सपा ज्यादा विश्वास कर गई। इवेंट मैनेजमेंट कंपनियों के भरोसे चुनाव नहीं जीता जा सकता।

उन्होंने कहा, “मैं और राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव चौधरी लौटन राम निषाद ने लखनऊ, अमेठी, रायबरेली, सुलतानपुर, जौनपुर, आजमगढ़, गाजीपुर, चंदौली, बलिया के 22-23 विधानसभा क्षेत्रों में कैंपेन किए, उसमें से सपा व कांग्रेस को 17 सीटें मिली हैं।”

विश्वकर्मा ने कहा, “चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी देखने वाले लोगों ने चुनाव की रणनीति को गंभीरता से नहीं लिया और सभी संगठनों के पदाधिकारियों व आम कार्यकर्ताओं के साथ एक समान व्यवहार किया। मुख्यमंत्री के करीबी बनने व पांच वर्षो तक लाभ लेने वाले युवा नेताओं के द्वारा जनता में गलत संदेश गया।”

उन्होंने कहा कि विशंभर प्रसाद निषाद, राम सुंदर दास, राम आसरे विश्वकर्मा, अभय नारायण पटेल जैसे लोग सपा प्रत्याशियों को हराने में जुटे थे।

विश्वकर्मा ने बताया, “सपा चुनाव प्रबंधन की टीम ने लौटन राम निषाद व मेरी संगठन की टीम का उचित इस्तेमाल न कर हल्के में लिया। भाजपा के बड़े नेता चुनाव के हर चरण में झूठ-फरेब व जुमलेबाजी करते व रणनीति बदलते रहे, लेकिन मुख्यमंत्री जी पूरे चुनाव के दौरान विकास को ही मुद्दा बनाकर चलते रहे। भाजपा नेताओं को मुंहतोड़ जवाब दिया गया होता और इनके मुख्यमंत्री पद का चेहरा कौन है, मुद्दा उठाकर इन्हें घेरा जा सकता था।”

उन्होंने कहा, “विगत विधानसभा चुनाव में 12.41 प्रतिशत आबादी वाली 17 अतिपिछड़ी जातियों के आरक्षण मुद्दे को जोर शोर से उठाया गया, जिस कारण सपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी, लेकिन इस चुनाव में अतिपिछड़ी जातियों के आरक्षण मुद्दे को दरकिनार कर दिया गया।”     –आईएएनएस/आईपीएन