अदालत ने वीरभद्र से पूछा, जांच में शामिल क्यों नहीं हो जाते?

नई दिल्ली, 5 अप्रैल | दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से पूछा कि अपने खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले की जांच में वह खुद शामिल क्यों नहीं हो रहे हैं? सीबीआई ने वीरभद्र के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मुकदमा दर्ज कर रखा है। न्यायमूर्ति प्रतिभा रानी ने वीरभद्र से कहा, “प्राथमिकी में आपका नाम है। आप उस जांच में शामिल होकर मामले को खत्म क्यों नहीं करते?” हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश ने मुख्यमंत्री को गिरफ्तारी या पूछताछ से बचा रखा है।

मौखिक टिप्पणी में न्यायमूर्ति ने कहा, “यदि आपका जांच में शामिल होने का इरादा है तो उसमें शामिल हो जाएं।”

हालांकि अदालत ने ऐसा कोई आदेश पारित नहीं किया जिसमें उन्हें सीबीआई की जांच में शामिल होने की बात कही गई हो।

अतिरिक्त महाधिवक्ता पी. एस. पटवालिया ने अदालत को बताया कि मामले की जांच पूरी तरह से रुकी हुई है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय एजेंसी ने इस मामले में एक फाइल पूरी की है और जो तथ्य सामने आए हैं, वे अत्यंत गंभीर हैं।

हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने पिछले वर्ष एक अक्टूबर को एक अंतरिम आदेश जारी करते हुए आय से छह करोड़ रुपये अधिक की संपत्ति के मामले में वीरभद्र सिंह से सीबीआई की पूछताछ या उनके खिलाफ आरोप पत्र पेश करने पर रोक लगा दी थी।

सीबीआई ने दिल्ली उच्च न्यायालय से हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश को यह कहते हुए हटाने की मांग की कि इससे जांच बाधित हो रही है।

दिल्ली उच्च न्यायालय वीरभद्र की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ दायर सीबीआई की प्राथमिकी रद्द करने की मांग की है।

चूंकि हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय का आदेश दो सदस्यीय पीठ का है, इसलिए न्यायमूर्ति प्रतिभा रानी ने मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश जी. रोहिणी से यह जानना चाहा है कि क्या इस मामले की सुनवाई एकल पीठ कर सकती है? मामले पर बुधवार को भी विचार किया जाएगा।

पिछले साल नवंबर में सर्वोच्च न्यायालय ने आय से अधिक संपत्ति के इस मामले को ‘और अधिक विवादों से बचने के लिए’ हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय से दिल्ली उच्च न्यायालय को सौंप दिया था।(आईएएनएस