आतंकवाद के अलावा दक्षिण कोरिया भी है दुनिया के लिए खतरा

वाशिंगटन, 1 अप्रैल। यहां आयोजित चौथे परमाणु सुरक्षा सम्मेलन में चर्चा का मुख्य विषय बिगड़ैल उत्तर कोरिया और वैश्विक आतंकवाद है। मीडिया रपटों के अनुसार, इस दो दिवसीय द्विवार्षिक सम्मेलन का उद्घाटन गुरुवार रात व्हाइट हाउस में रात्रिभोज के साथ हुआ, जिसमें दुनिया के 50 शीर्ष नेताओं ने भाग लिया। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल थे। यह सम्मेलन शुक्रवार को खत्म होगा।

फोटो: परमाणु सुरक्षा सुरक्षा सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा मुलाकात करते हुए। (सिन्हुआ/आईएएनएस)

अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 2010 में इस सम्मेलन की शुरुआत की थी, और वह चौथी और अंतिम बार इस सम्मेलन की मेजबानी कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि 22 मार्च को ब्रसेल्स के बाद जिसमें 32 लोग मारे गए थे, और पिछले वर्ष नवंबर में हुए पेरिस हमले के बाद, जिसमें 130 लोगों की जान चली गई थी, वैश्विक आतंकवाद की इस ‘बीमारी’ को समाप्त करने की जरूरत आ पड़ी है।

रात्रिभोज के दौरान ओबामा के बाई तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थे तो उनकी दूसरी तरफ चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग। इस दौरान उन्होंने आतंकवाद पर काबू पाने के उपायों पर चर्चा की।

न्यूयार्क टाइम्स की रपट के मुताबिक, इस दौरान उत्तर कोरिया के खतरे पर शी और ओबामा के बीच आम राय देखी गई। चीन ने उत्तर कोरिया पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा लगाए गए नए प्रतिबंधों का स्वागत किया। उत्तर कोरिया ने हाल ही में परमाणु परीक्षण किया था और बैलिस्टिक मिसाइलों का प्रक्षेपण किया था।

ओबामा इस दौरान जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति पार्क ग्यून-हे से मिले।

समाचार एजेंसी एफे के अनुसार, इस रात्रिभोज से पहले गुरुवार शाम हुई बैठक में ओबामा ने अपने फ्रांसीसी समकक्ष फ्रास्वा होलांद की प्रशंसा की और कहा कि उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में यूरोपीय समुदाय को एकजुट किया है। दोनों ही नेताओं ने आगे आतंकवादी हमलों को रोकने के लिए द्विपक्षीय सहयोग मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की।

दुनिया में सर्वाधिक परमाणु हथियार रखने वाले देश रूस ने इस सम्मेलन में भाग नहीं लेने का फैसला किया है और क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेसकोव ने कहा है कि ‘साझेदारों के बीच सहयोग की कमी’ के कारण उसने यह फैसला किया है।

रूस के इस सम्मेलन में भाग नहीं लेने से परमाणु सुरक्षा को लेकर किसी अहम समझौते की संभावना मुश्किल लग रही है।

दुनिया के 9 देशों -अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इजरायल और उत्तर कोरिया- को मिलाकर कुल 15,000 परमाणु हथियार है, लेकिन अकेले रूस और अमेरिका के पास दुनिया का 90 फीसदी परमाणु हथियार है।

इस सम्मेलन में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भी भाग लेनेवाले थे, लेकिन उन्होंने लाहौर में हुए आतंकवादी हमले के कारण अपनी यात्रा रद्द कर दी। हमले में 29 बच्चों सहित कम से कम 72 लोगों की मौत हो गई थी।

अमेरिकी विदेशमंत्री जॉन केरी और ऊर्जा मंत्री अर्नेस्ट मोनिज ने साथ मिलकर विभिन्न देशों के प्रतिनिधिमंडल के लिए एक अलग रात्रिभोज आयोजित किया।

(आईएएनएस)